खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) 2016-17 से इस अम्ब्रेला योजना को क्रियान्वित कर रहा है। (इन्फोग्राफिक देखें)
एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना के बारे में

- उद्देश्य
- खेत से लेकर उपभोक्ता तक निर्बाध कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन संबंधी अवसंरचनाओं का निर्माण करना।
- गैर-बागवानी उत्पादों, डेयरी, मांस, कुक्कुट पालन और समुद्री/ मछली (झींगा को छोड़कर) की हार्वेस्टिंग के बाद होने वाली हानि को कम करना।
- किसानों को प्रसंस्करणकर्ताओं और बाजारों से जोड़ना, किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना और उपभोक्ताओं के लिए साल भर खाद्य उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- मुख्य घटक
- खेत स्तरीय अवसंरचना;
- प्रसंस्करण केंद्र (अनिवार्य);
- वितरण केंद्र; तथा
- परिवहन (रेफ्रिजरेटेड वैन / रेफ्रिजरेटेड ट्रक / इंसुलेटेड वैन / मोबाइल इंसुलेटेड टैंकर आदि)।
- पात्र संस्थाएं: व्यक्ति, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (केंद्रीय/ राज्य), गैर-सरकारी संगठन, सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन (FPOs), सीमित देयता भागीदारी (LLPs) आदि।
- अनुदान सहायता/ सब्सिडी:
- सामान्य क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए पात्र परियोजना लागत का 35% तक;
- दुर्गम क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए पात्र परियोजना लागत का 50% तक; तथा
- अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, FPOs और स्वयं सहायता समूह (SHGs) की परियोजनाओं के लिए, प्रति परियोजना अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक।
निष्कर्ष
UNEP की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024 से पता चलता है कि 2022 में वैश्विक स्तर पर 20% भोजन बर्बाद हो गया था। खाद्यान्न बर्बादी के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। भारत के नगर निगम अपशिष्ट का 10% से 12% हिस्सा खाद्यान्न बर्बादी से संबंधित है, जो मीथेन उत्सर्जन में योगदान देता है। यह योजना इन चिंताजनक मुद्दों के लिए एक आशाजनक समाधान प्रदान करती है।