हाल ही में प्रधान मंत्री ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित महिला सशक्तीकरण महासम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘महिला के नेतृत्व वाले विकास को राष्ट्रीय प्रगति की नींव’ बना दिया है।
‘महिला विकास’ बनाम ‘महिला के नेतृत्व में विकास’

समाज के लिए ‘महिला के नेतृत्व में विकास’ का महत्व
- आर्थिक सशक्तीकरण: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, यदि लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाए तो भारत की GDP में लगभग 30% तक की वृद्धि संभव है।
- लैंगिक समानता: नेतृत्वकारी भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी उन्हें समाज में रोल-मॉडल के रूप में स्थापित कर सकती है, जिससे पारंपरिक सामाजिक मानदंडों में महिलाओं की भूमिका और क्षमता को लेकर सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
- उदाहरण के लिए: ऑपरेशन सिंदूर अभियान के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की नेतृत्वकारी भूमिका ने महिलाओं के बारे में पारंपरिक सोच में बदलाव लाकर बहुत लोगों को प्रेरित किया है।
- समावेशी विकास: यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रगति को शासन के सभी स्तरों पर सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करता है, साथ ही शासन व्यवस्था में महिलाओं की क्षमता का प्रभावी रूप से उपयोग करता है।
- खादी क्षेत्र में 80% से अधिक कारीगर महिलाएं हैं, जबकि रेशम उत्पादन से जुड़े कुल कार्यबल में 50% से अधिक महिलाएं हैं।