पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ‘एकात्म मानववाद’ दर्शन की 60वीं वर्षगांठ मनाई गई | Current Affairs | Vision IAS
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ‘एकात्म मानववाद’ दर्शन की 60वीं वर्षगांठ मनाई गई

Posted 02 Jun 2025

10 min read

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितंबर, 1916 को हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने देश को दिशा देने वाले भारतीय दृष्टिकोण को आधार बनाकर ‘एकात्म मानववाद’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया।

एकात्म मानववाद (Integral Humanism) क्या है?  

  • यह दर्शन निम्नलिखित तीन सिद्धांतों पर आधारित है; 
    • समष्टि की प्रधानता, 
    • धर्म की सर्वोच्चता, और 
    • समाज की स्वायत्तता। 
  • यह दर्शन एकता और सद्भाव पर बल देता है। 
  • यह शरीर, मन, बुद्धि और  आत्मा को समान महत्व देने की बात करता है। वास्तव में इन चारों का संतुलित विकास ही सार्थक जीवन का आधार माना गया है।
    • एकात्म मानववाद के सिद्धांत के अनुसार, प्रत्येक देश की एक विशिष्ट संस्कृति और सामाजिक मूल भावना होती है, जिसे ‘चिति’ कहा जाता है। इसके साथ ही, प्रत्येक समाज की कुछ विशेष संरचनात्मक विशेषताएं होती हैं, जिन्हें ‘विराट’ के रूप में जाना जाता है।

एकात्म मानववाद की समकालीन प्रासंगिकता

  • सहभागिता आधारित शासन-प्रणाली: इस दर्शन के अनुसार परिवार से लेकर शासन तक, सभी संस्थाएं समुचित और समन्वित ढंग से संचालित होनी चाहिए।
  • आत्मनिर्भर और विकेंद्रीकृत आर्थिक मॉडल: इसमें गांव को विकास का केंद्र माना गया है।
  • नीति निर्माण: अंत्योदय का विचार और सर्वजन हिताय की भारतीय परंपरा को इस दर्शन के मूल में रखा गया है।
  • संधारणीय उपयोग: यह दर्शन श्रम, प्राकृतिक संसाधनों और पूंजी का ऐसा संतुलित उपयोग करने पर बल देता है जिससे हर व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर मिल सके।
  • पर्यावरणीय न्याय: यह संधारणीय तरीके से प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और डीप इकोलॉजी के सिद्धांतों को बढ़ावा देता है।
    • डीप इकोलॉजी एक प्रकार का पर्यावरणीय दर्शन है जो प्रकृति को केवल मानव उपयोग के संसाधन के रूप में नहीं, बल्कि उसकी स्वाभाविक एवं अंतर्निहित मूल्य के साथ अस्तित्वमान मानता है।
  • सांस्कृतिक विरासत: यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने का समर्थन करता है।
  • Tags :
  • एकात्म मानववाद
  • दीनदयाल उपाध्याय
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