भगदड़ का आशय उस स्थिति से है, जब भीड़ की व्यवस्थित आवाजाही में किसी कारणवश व्यवधान उत्पन्न हो जाता है, जिससे लोग अनियंत्रित होकर इधर-उधर भागने लगते हैं। इसके परिणामस्वरूप, कई लोग घायल हो जाते हैं और गंभीर स्थिति (जैसे दम घुटने, कुचले जाने आदि) में उनकी मृत्यु भी हो जाती है।

- पिछले एक साल में भारत में भगदड़ की कम-से-कम छह बड़ी घटनाएं हुई हैं, जैसे: दिल्ली रेलवे स्टेशन, महाकुंभ आदि।
भीड़ प्रबंधन पर NDMA के दिशा-निर्देश
- क्षमता नियोजन: इसके तहत भीड़ के व्यवहार को समझना, भीड़ नियंत्रण की तकनीक और हितधारक दृष्टिकोण विकसित करना शामिल है।
- जोखिम विश्लेषण और तैयारी: संभावित खतरों की पहचान करना और उनका पहले से समाधान करना। इसमें विफलता मोड और प्रभाव विश्लेषण (FMEA) नामक पूर्व-नियोजन तकनीक भी शामिल है। इसमें सभी कार्यक्रम आयोजक/ योजनाकार गड़बड़ी होने तथा उसके चलते होने वाले संभावित नुकसान और उसे रोकने के उपायों का प्रबंधन करते हैं।
- सूचना प्रबंधन और प्रसार: इसमें आगंतुकों के साथ-साथ हितधारकों के साथ भी संवाद करना और उन्हें सही जानकारी प्रदान करना शामिल है।
- सुरक्षा और संरक्षा उपाय: इसमें CCTV निगरानी, बैरियर, आपातकालीन निकास के साथ-साथ आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की सुविधाएं और यातायात प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देशों का उपयोग करना शामिल है।
स्मार्ट भीड़ प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम अभ्यास और समाधान
- एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र: ओलंपिक खेलों और अन्य बड़े आयोजनों में एकीकृत कमांड नियंत्रण केंद्रों का उपयोग किया जाता है। इससे भीड़ की आवाजाही के प्रबंधन और सार्वजनिक संचार में सहायता मिलती है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग: जापान और सिंगापुर जैसे देश AI-संचालित भीड़ निगरानी प्रणाली, रियल टाइम डेटा विश्लेषण जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- अभिनव नियोजन रणनीतियां: इसमें ज़ोनिंग, भीड़ प्रवाह अनुकूलन, आपातकालीन प्रतिक्रिया, लोक जागरूकता और हितधारक सहयोग शामिल हैं।