
संत कबीरदास (लगभग 14वीं-15वीं शताब्दी)
11 जून को देशभर में संत कबीरदास जी की जयंती मनाई गई।
संत कबीरदास के बारे में (लगभग 14वीं-15वीं शताब्दी)
- जन्म स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
प्रमुख योगदान
- मूल विश्वास: उन्होंने कर्मकांड, जातिवाद और मूर्ति पूजा का विरोध किया। उन्होंने एक ईश्वर की भक्ति (निर्गुण भक्ति) पर जोर दिया।
- संकलित पद: कबीर के पदों को तीन अलग-अलग लेकिन एक-दूसरे से जुड़ी परंपराओं में संकलित किया गया है:
- कबीर बीजक को वाराणसी और उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों पर कबीर पंथ (कबीर का पंथ या उप-संप्रदाय) द्वारा संरक्षित किया गया है।
- कबीर ग्रंथावली राजस्थान के दादूपंथ से जुड़ी है।
- उनकी कई रचनाएं गुरु अर्जुन देव द्वारा संकलित आदि ग्रंथ साहिब में भी मिलती हैं।
- भाषा और बोलियाँ: कबीर की कविताएं कई भाषाओं और बोलियों में संरक्षित हैं:
- कुछ निर्गुण कवियों की रचनाएं विशेष भाषा ‘संत भाषा’ ('सधुक्कड़ी) में रचित है।
- अन्य कविताएं उलटबांसी में मिलती हैं। उलटबांसी रचनाओं में कबीर ने अपनी बात को घुमा-फिरा कर और प्रचलित अर्थ से एकदम विपरीत अर्थ में अभिव्यक्ति की है।