UNFPA स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन, 2025: “द रियल फर्टिलिटी क्राइसिस” रिपोर्ट जारी की गई | Current Affairs | Vision IAS
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रिपोर्ट में प्रजनन क्षमता में गिरावट से घबराने की बजाय, उन लोगों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए, जो अपने प्रजनन लक्ष्यों को प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • प्रजनन संकट: वास्तविक मुद्दा अधिक जनसंख्या नहीं है, बल्कि विकल्प की कमी के कारण वांछित परिवार आकार प्राप्त करने में असमर्थता है।
  • फर्टिलिटी डुअलिटी: कुछ राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि) में प्रजनन दर काफी अधिक है, जबकि अन्य राज्यों (दिल्ली, केरल, तमिलनाडु आदि) में प्रतिस्थापन प्रजनन दर (2.0) से कम है।
  • प्रजनन स्वतंत्रता में बाधाएं
    • वित्तीय बाधाएं: 10 में से 4 लोग वित्तीय सीमाओं को एक बड़ी बाधा मानते हैं।
    • संरचनात्मक चुनौतियां: नौकरी की असुरक्षा (21%), आवास से जुड़ी बाधाएं (22%), और बच्चों की देखभाल की कमी (18%) परिवार नियोजन में बाधा डालती हैं।
    • सामाजिक दबाव: 19% लोग कम बच्चे पैदा करने के लिए परिवार/ साथी के दबाव का सामना करते हैं।
    • आधुनिक सोच: जलवायु परिवर्तन, राजनीतिक अस्थिरता, अकेलापन और बदलते लैंगिक मानदंड निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
  • भारत की प्रगति और लगातार बढ़ रही असमानता
    • बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के कारण प्रजनन दर 5 (1970) से घटकर 2 (2025) रह गई है।
    • अंतर अभी भी बना हुआ है: राज्यों, जातियों और आय समूहों में असमानताएं प्रजनन अधिकारों को सीमित करती हैं।

भारत के लिए UNFPA की सिफारिशें

  • लैंगिक और प्रजनन स्वास्थ्य (SRH) सेवाओं का विस्तार: गर्भनिरोधक, सुरक्षित गर्भपात और बंध्यता देखभाल तक सार्वभौमिक पहुंच। 
  • संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना: किफायती बाल देखभाल, शिक्षा, आवास और लचीली कार्य नीतियों के विकास पर फोकस करना।
  • समावेशी नीतियां: LGBTQIA+, अविवाहित व्यक्तियों और हाशिए पर रहे समूहों तक सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना।

UNFPA के बारे में

  • इसे 1969 में जनसंख्या गतिविधियों के लिए संयुक्त राष्ट्र कोष (UNFPA) के रूप में स्थापित किया गया था।
  • वर्ष 1987 में इसका नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष कर दिया गया। हालांकि, मूल संक्षिप्त नाम, UNFPA को बरकरार रखा गया। 
  • मुख्य मिशन
    • UNFPA सभी के लिए लैंगिक और प्रजनन अधिकारों एवं विकल्पों की गारंटी देने के लिए काम करता है।
    • महिलाओं और युवाओं को अपने शरीर के बारे में सूचनाओं पर आधारित निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाता है। 
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