वन सलाहकार समिति (FAC) ने एटालिन जलविद्युत परियोजना को "सैद्धांतिक स्वीकृति" दे दी है, जो एक उच्च संरक्षण मूल्य वाले क्षेत्र में स्थापित होने वाली है।
वन सलाहकार समिति (FAC) के बारे में
- प्रकृति: यह एक वैधानिक निकाय है। इसका गठन वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा-3 के प्रावधानों के तहत किया गया है।
- कार्य: इसका कार्य वन भूमि को गैर-वन उपयोग (जैसे खनन) के लिए डायवर्ट करने के मामलों में सलाह देना है। इसकी सिफारिशें सलाहकारी प्रकृति की होती हैं।
एटालिन हाइड्रोपावर परियोजना के बारे में
- अवस्थिति: यह अरुणाचल प्रदेश में दिबांग घाटी में है। यह पूर्वी हिमालय वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है, जो ऐसे 36 वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से एक है।
- नदियां: इस परियोजना में दो ग्रेविटी बांध होंगे: एक द्री नदी पर और दूसरा तालो (टंगोन) नदी पर।
- क्षमता: 3,097 मेगावाट।
एटालिन जलविद्युत परियोजना के प्रभाव
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- वनों की कटाई: इस परियोजना के कारण 2.7 लाख पेड़ों की कटाई होगी और 1100 हेक्टेयर से अधिक अवर्गीकृत वन भूमि का डायवर्जन होगा।
- जैव विविधता: इस क्षेत्र में लगभग 6 वैश्विक रूप से संकटग्रस्त स्तनपायी प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 3 एंडेंजर्ड हैं और 3 वल्नरेबल श्रेणी में हैं।
- यहां भारत की कुल पक्षी प्रजातियों का 56% हिस्सा पाया जाता है।
- इसमें 3 अत्यंत दुर्लभ प्रतिबंधित रेंज स्थानिक पक्षी प्रजातियां भी हैं।
- स्थानीय लोगों की चिंताएं: स्थानीय जनजातियों जैसे- अदि और इदु मिश्मी ने इस परियोजना का विरोध किया है। उनका मानना है कि इससे उन्हें भूमि का नुकसान होगा और उन्हें विस्थापित कर दिया जाएगा।