केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) की अवधि की समाप्ति (31.03.2025) के बाद भी SPVs कार्य करना जारी रखेंगे।
- ध्यातव्य है कि स्मार्ट सिटीज़ मिशन की अवधि 31 मार्च, 2025 को समाप्त हो गई है।
स्पेशल पर्पज व्हीकल्स (SPVs) के बारे में
- शुरुआत: SPVs का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सभी 100 चयनित शहरों में स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत “कंपनियों” के रूप में किया गया था।
- स्मार्ट सिटीज़ मिशन वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। इस मिशन का लक्ष्य 100 चयनित शहरों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना था। इसके लिए प्रभावी सेवाएं, मजबूत अवसंरचना तथा संधारणीय और स्वच्छ वातावरण प्रदान करने पर जोर दिया जाता है।
- स्वामित्व: SPVs का स्वामित्व राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों और नगर निकायों (ULBs) के पास 50:50 के अनुपात में है।
- संरचना: प्रत्येक SPV का अध्यक्ष पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) होता है। इसके बोर्ड में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय नगर-निकाय के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
- उद्देश्य: SPVs को केंद्रित योजना, परियोजना विकास और जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के माध्यम से स्मार्ट सिटीज़ मिशन को लागू करने का दायित्व सौंपा गया है।
- मार्च 2025 तक, 8,000 से अधिक स्मार्ट सिटीज़ मिशन परियोजनाओं में से 93% से अधिक पूरी हो चुकी थी। परियोजना के लिए आवंटित 48,000 करोड़ रुपये के बजट का 99.44% वितरित किया जा चुका है।
पुनर्गठित SPVs के भविष्य के कार्यक्षेत्र
- प्रौद्योगिकी के रूप में समर्थन: SPVs स्थानीय नगर-निकायों को साइबर हाइजीन, एनालिटिक्स और डेटा सिस्टम में प्रबंधन में सहायता कर सकते हैं।
- परियोजना के कार्यान्वयन में मदद: SPVs लाभकारी परियोजनाओं का विकास और कार्यान्वयन कर सकते हैं। इसके बदले में राज्य के मानदंडों के अनुसार 1.5%–3% तक का कार्यान्वयन शुल्क भी वसूल कर सकते हैं।
- अनुसंधान और मूल्यांकन कार्य: SPVs मूल्यांकन, लॉजिस्टिक्स और समन्वय के माध्यम से साक्ष्य-आधारित योजना निर्माण में सहायता कर सकते हैं।
- निवेश आकर्षित करने में मदद: SPVs परियोजना के संरचना-निर्माण, खरीद प्रक्रियाओं और सरकारों के बीच समन्वय के माध्यम से स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।