इस नए अध्याय का शीर्षक ‘सतत और जलवायु बजट (Sustainable and climate budget)’ है। इसके तहत अहमदाबाद नगर निगम (AMC) ने 2025-26 के बजट का एक-तिहाई हिस्सा जलवायु कार्रवाई के लिए निर्धारित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत द्वारा 2070 तक नेट-जीरो क्लाइमेट रेजिलिएंट सिटी एक्शन प्लान को लागू करने के लक्ष्य को हासिल करना है।
- इससे पहले, बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने भी AMC की भांति जलवायु बजट प्रस्तुत किया था। इसमें 33% पूंजीगत व्यय जलवायु-संबंधी परियोजनाओं के लिए निर्धारित किया गया था।
जलवायु बजटिंग के बारे में
- यह एक ऐसी प्रशासन प्रणाली है, जिसके तहत जलवायु प्रतिबद्धताओं को नीतियों, कार्यवाहियों और बजटीय आवंटन में प्रमुखता से शामिल किया जाता है।
- इसके तहत, शहरों की जलवायु कार्य योजना से जुड़े लक्ष्यों को बजट प्रक्रिया के साथ एकीकृत किया जाता है तथा इसके कार्यान्वयन व निगरानी की ज़िम्मेदारी नगर प्रशासन को सौंपी जाती है।
- शहरों के लिए जलवायु बजट का महत्त्व:
- यह जलवायु परिवर्तन के अनुकूल विकास को बढ़ावा देने; उत्सर्जन में कमी लाने; और वैश्विक एवं राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
- इसके कारण व्यय का विश्लेषण करके जलवायु वित्त की कमी का अनुमान लगाने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे जलवायु वित्त जुटाने वाले नवीन वित्तीय मॉडल्स को अपनाने में भी सहायता मिलती है।
जलवायु कार्रवाई में स्थानीय प्रशासन की भूमिका
- विविध स्थानीय जलवायु कार्रवाई: जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों की भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक दशाओं के आधार पर अलग-अलग होता है। इसलिए इनके समाधान के लिए स्थानीय उपाय अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
- उदाहरण के लिए- वित्त वर्ष 2024-25 में, BMC ने शहरी बाढ़ से निपटने के लिए अपने पूंजीगत व्यय का लगभग 30% हिस्सा आवंटित किया।
- स्थानीय प्रशासन जलवायु परिवर्तन की वजह से उत्पन्न होने वाली चरम मौसमी घटनाओं जैसे कि भूस्खलन आदि से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाता है।
- जलवायु अनुकूलन और शमन के लिए स्थानीय पारंपरिक ज्ञान का सहारा लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए- राजस्थान में जल संरक्षण के लिए कुंडी वर्षा जल संचयन प्रणाली प्रचलित है।
स्थानीय निकायों के लिए जलवायु वित्त हेतु उपलब्ध तंत्र
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