IIT बॉम्बे के अध्ययन में सुनामी और तटीय बाढ़ के प्रभावों को कम करने में मैंग्रोव की भूमिका को उजागर किया गया | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

IIT बॉम्बे के अध्ययन में सुनामी और तटीय बाढ़ के प्रभावों को कम करने में मैंग्रोव की भूमिका को उजागर किया गया

Posted 25 Feb 2025

8 min read

इस अध्ययन से पता चला है कि मैंग्रोव सहित इमर्जन्ट तटीय वनस्पति एक प्रभावी रक्षा प्रणाली के रूप में तटीय अवसंरचना को सुनामी से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम कर देती है।

  • इमर्जन्ट वनस्पति वे जलीय पादप होते हैं, जिनकी जड़ें जल के नीचे मिट्टी में होती हैं, जबकि उनके तने, पत्तियां और फूल पानी से ऊपर होते हैं।

मैंग्रोव के बारे में

  • मैंग्रोव, इमर्जन्ट वृक्ष होते हैं, इनकी जड़ें जलमग्न रहती हैं। इनके तने मजबूत होते हैं, जो लहरों की प्रचंडता को कम करते हैं। इस प्रकार ये समुद्री आपदाओं के प्रति प्राकृतिक जैव-ढाल के रूप में कार्य करते हैं।
  • महत्त्व:
    • जल की गुणवत्ता में सुधार: ये जल में पोषक तत्वों और तलछट को फिल्टर करके जल की गुणवत्ता को सुधारते हैं।
    • जैव विविधता को बढ़ावा: ये क्रैब, झींगे, मोलस्क, पक्षी, सरीसृप और स्तनधारियों के लिए नर्सरी, भोजन एवं प्रजनन स्थल प्रदान करते हैं।
    • खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा: ये प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का स्रोत होते हैं। साथ ही, ये पशुओं के लिए चरागाह, ईंधन हेतु लकड़ी और चारकोल आदि के भी स्रोत होते हैं। 
    • कार्बन सिंक: मैंग्रोव प्रति हेक्टेयर औसतन 394 टन कार्बन संग्रहित करते हैं।
  • तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा: ये तूफान की लहरों और हवा की गति को धीमा करके तथा दिशा बदलकर, जलप्लावन की गहराई एवं प्रसार को कम करते हैं।
  • खतरे: IUCN के अनुसार, 50% मैंग्रोव पारिस्थितिकी-तंत्र के नष्ट होने का खतरा है।
    • मुख्य खतरों में तटीय क्षेत्रों में विकास, कृषि और झींगा पालन के लिए वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन व इसके परिणामस्वरूप समुद्र जल स्तर में वृद्धि तथा चक्रवाती तूफानों की आवृत्ति में वृद्धि शामिल हैं।
  • Tags :
  • IUCN
  • मैंग्रोव
  • सुनामी और तटीय बाढ़
  • तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा
Watch News Today
Subscribe for Premium Features