नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में डिजिटल गवर्नेंस में बेहतर डेटा-गुणवत्ता सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया | Current Affairs | Vision IAS
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नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में डिजिटल गवर्नेंस में बेहतर डेटा-गुणवत्ता सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया

Posted 25 Jun 2025

13 min read

नीति आयोग की रिपोर्ट “इंडियाज़ डेटा इम्पेरेटिव: द पिवट टुवर्ड्स क्वालिटी” में रेखांकित किया गया है कि पिछले दशक में भारत ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI)’ के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है। 

  • रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे भारत अपनी डिजिटल विकास यात्रा के अगले चरण में प्रवेश कर रहा है, उसे अब केवल डेटा की संख्या बढ़ाने की बजाय डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 
    • गुणवत्ता वाले डेटा यानी डेटा क्वालिटी के छह मुख्य गुण हैं - सटीकता (Accuracy), पूर्णता (Completeness), समयबद्धता (Timeliness), निरंतरता (Consistency), वैधता (Validity) और विशिष्टता (Uniqueness)।   

गवर्नेंस के लिए गुणवत्ता वाले डेटा की आवश्यकता क्यों है?

  • डिजिटल गवर्नेंस को मजबूत बनाना: उच्च गुणवत्ता वाला डेटा UPI, आधार, आदि जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के संचालन को प्रभावी बनाता है और सरकारी सेवाओं के सुचारू वितरण को सुनिश्चित करता है।
  • फंड के अपव्यय रोकना: गलतियों या डुप्लीकेट एंट्री के कारण सरकारी की कल्याणकारी योजनाओं के बजट में हर साल 4 से 7% तक की वृद्धि हो सकती है।
  • जनता का विश्वास बढ़ाना: खराब डेटा के कारण लाभार्थियों की पहचान में गलती हो जाती है और सेवा वितरण में भी देरी होती है। इससे जनता में असंतोष बढ़ता है। गुणवत्ता वाला डेटा इन समस्याओं को दूर करता है और आवेदनों या क्लेम के ख़ारिज होने की संभावनाओं को कम करता है। 

गवर्नेंस के लिए गुणवत्ता वाले डेटा का लाभ उठाने के समक्ष व्यापत चुनौतियां

  • दोषपूर्ण डेटा संग्रह करना: फील्ड कार्यक्रमों या सर्वेक्षणों के दौरान अक्सर सटीक डेटा की बजाय तेज गति से डेटा संग्रह को प्राथमिकता दी जाती है। इस वजह से 80% सटीकता को भी “अच्छा डेटा” मान लिया जाता है।
  • अलग-अलग डेटा भंडार: कुछ डेटा सिस्टम आधुनिक क्लाउड टूल्स का उपयोग करते हैं, लेकिन कई सिस्टम्स अब भी पुराने डेटाबेस पर निर्भर हैं जिनमें ऑडिट ट्रेल और मानकीकृत संरचना की कमी देखी गई है।
  • डेटा साझा करने में विसंगति: विभिन्न विभाग अलग-अलग डेटा फॉर्मेट और डेटा अपडेट शेड्यूल का पालन करते हैं, जिससे डेटा एकीकरण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और इस प्रक्रिया में लागत भी बढ़ जाती है।
  • डेटा आर्काइव रखने की पुरानी पद्धतियां: पुराने और अप्रासंगिक डेटा रिकॉर्ड शायद ही कभी हटाए जाते हैं, जिससे सिस्टम धीमा होता है और डेटा लीक का खतरा बढ़ जाता है।

नीति आयोग की उपर्युक्त रिपोर्ट में दो प्रमुख उपाय सुझाए गए हैं:

  • डेटा क्वालिटी स्कोरकार्ड अपनाना: इससे डाटासेट्स की निगरानी की जा सकेगी और समय-समय पर उसमें सुधार भी किया जा सकेगा।
  • डेटा क्वालिटी मैच्योरिटी फ्रेमवर्क अपनाना: इसमें सात आयाम (Dimensions) और पांच स्तर (Levels) होंगे, जो विभागों को उनके डेटा सिस्टम का आकलन करने और उन्हें अपग्रेड करने में मदद करेगा।
  • Tags :
  • नीति आयोग
  • डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI)
  • डिजिटल गवर्नेंस
  • डेटा क्वालिटी स्कोरकार्ड
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