प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
प्राक्कलन समिति ने अपने गठन के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं।
- यह संसद की तीन वित्तीय समितियों में सबसे बड़ी समिति है। अन्य दो वित्तीय समितियां हैं; सार्वजनिक उपक्रम समिति और लोक लेखा समिति।
प्राक्कलन समिति के बारे में
- स्थापना: इसका गठन 1950 में हुआ था।
- संरचना: इसमें 30 सदस्य होते हैं, जिन्हें हर साल लोकसभा के सदस्यों में से चुना जाता है।
- मंत्री इस समिति के सदस्य बनने के लिए पात्र नहीं होते हैं।
- अध्यक्ष: इस समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा-अध्यक्ष द्वारा इसके सदस्यों में से की जाती है।
- कार्यकाल: समिति का कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
- मुख्य कार्य:
- मितव्ययिता और संगठनात्मक सुधारों पर रिपोर्ट देना।
- दक्षता लाने के लिए वैकल्पिक नीतियों का सुझाव देना।
- नीतियों पर व्यय की समीक्षा करना।
- यह सुझाव देना कि प्राक्क्लनों (बजटीय अनुमानों) को संसद में किस रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- सिफारिशें प्रस्तुत करना: इस समिति की सिफारिशें लोकसभा में प्रस्तुत की जाती हैं और संबंधित मंत्रालय को 6 महीने के भीतर या समिति द्वारा निर्धारित आवश्यक समय-सीमा के भीतर कार्रवाई करनी होती है।
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- प्राक्कलन समिति
- लोकसभा
- वित्तीय समिति
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आपातकालीन खरीद व्यवस्था (Emergency Procurement)
रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन खरीद व्यवस्था के तहत छठे चरण के अनुबंध पूरे किए।
- इस खरीद व्यवस्था का उद्देश्य आतंकवाद-रोधी अभियानों में तैनात सैनिकों को आस-पास की स्थिति की जानकारी रखने तथा उनकी मारक क्षमता, आवाजाही और सुरक्षा को बढ़ाना है।
“आपातकालीन खरीद व्यवस्था” के बारे में
- पृष्ठभूमि: यह व्यवस्था 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक और 2020 में चीन के साथ लद्दाख में हुई झड़प के बाद शुरू की गई।
- उद्देश्य: यह व्यवस्था रक्षा खरीद को तेजी से पूरा करने में मदद करती है, जिससे लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से बचा जा सके।
- वर्तमान स्थिति: अब सशस्त्र बल अपने पूंजीगत बजट (Capital Budget) का 15% हथियार और उपकरण की तत्काल खरीद में उपयोग कर सकते हैं, ताकि संचालन योग्य आवश्यक स्टॉक को पुनः भरा जा सके।
- Tags :
- आपातकालीन खरीद व्यवस्था
- रक्षा खरीद
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ब्लैक मास रिकवरी टेक्नोलॉजी
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने एक स्वदेशी बैटरी रीसाइक्लिंग तकनीक के व्यवसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है।
- यह बैटरी तकनीक डुअल-मोड (नम और शुष्क) ब्लैक मास रिकवरी का उपयोग करती है।
ब्लैक मास क्या है?
- जब एक लिथियम-आयन बैटरी अपने उपयोग की समाप्ति के चरण में पहुँचती है, तो उसका मूल्य खत्म नहीं होता। उस इस्तेमाल की गई बैटरी के भीतर एक गहरा रंग का पाउडर जैसा पदार्थ होता है जिसे ब्लैक मास कहा जाता है। यह वास्तव में क्रिटिकल मिनरल्स का मिश्रण होता है।
- इसे रिकवर और रिफाइन करके नेक्स्ट जनरेशन की स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को विद्युत प्रदान के लिए फिर से उपयोग किया जा सकता है।
ब्लैक मास रिकवरी तकनीक के बारे में
- यह एक प्रक्रिया है जो इस्तेमाल की गई लिथियम-आयन बैटरी से लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसे बहुमूल्य पदार्थों को निकालती है।
- यह तकनीक अपशिष्ट से उपयोगी पदार्थ निकालने में अधिक प्रभावी है। यह वास्तव में 97-99% तक उपयोगी पदार्थ की रिकवरी कर लेती है।
- Tags :
- प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB)
- ब्लैक मास
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तानसेन
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ग्वालियर में हजरत शेख मुहम्मद गौस के मकबरा पर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
- इस स्मारक परिसर में तानसेन की समाधि भी मौजूद हैं।
तानसेन के बारे में
- तानसेन हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महत्वपूर्ण ज्ञाता थे,
- उनका जन्म ग्वालियर में हुआ था। उनके बचपन का नाम रामतनु था।
- उन्हें "तानसेन" की उपाधि ग्वालियर के राजा विक्रमजीत ने दी थी।
- उन्होंने संगीत की शिक्षा स्वामी हरिदास से प्राप्त की।।
- तानसेन ने हिंदू देवी-देवताओं और अपने आश्रयदाताओं—रामचंद्र बघेल और अकबर—के लिए ध्रुपद गायन की रचनाएं कीं।
- वे मुगल बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे।
- उन्होंने कई प्रसिद्ध रागों की रचना की, जैसे—मियां की मल्हार, मियां की तोड़ी और दरबारी।
- उनके वंशज और शिष्य "सेनिया" (Seniyas) कहलाते हैं।
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- तानसेन
- सेनिया
- स्वामी हरिदास
- ग्वालियर के राजा विक्रमजीत
संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (ABP)
गुजरात राज्य-नेतृत्व मॉडल के तहत संशोधित भारतनेट परियोजना (ABP) को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना।
ABP के बारे में
- पृष्ठभूमि: भारतनेट कार्यक्रम की शुरुआत देशभर की सभी ग्राम पंचायतों (GPs) को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए की गई थी।
- उत्पत्ति: ABP का अनुमोदन 2023 में भारतनेट की डिजाइन में सुधार करने के लिए किया गया था।
- उद्देश्य:
- 2.64 लाख ग्राम पंचायतों को रिंग टोपोलॉजी के माध्यम से ऑप्टिकल फाइबर (OF) कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- रिंग टोपोलॉजी एक ऐसा नेटवर्क होता है जिसमें सभी डिवाइस एक गोल चक्र में जुड़े होते हैं।
- गैर-ग्राम पंचायत गांवों को मांग पर ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना।
- 2.64 लाख ग्राम पंचायतों को रिंग टोपोलॉजी के माध्यम से ऑप्टिकल फाइबर (OF) कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- विशेषताएं:
- ब्लॉक और ग्राम पंचायतों में राउटर के साथ IP-MPLS (इंटरनेट प्रोटोकॉल मल्टी-प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग) नेटवर्क की स्थापना।
- 10 वर्षों तक संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी तय की गई है।
- प्रत्येक FTTH (फाइबर टू द होम) ग्राहक को न्यूनतम 25 Mbps डाउनलोड स्पीड मिलेगी।
- इसमें लास्ट-माइल नेटवर्क को भारतनेट उद्यमी मॉडल के माध्यम से लागू किया जाना है।
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- संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (ABP)
- भारतनेट कार्यक्रम
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क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज इंडेक्स
क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज इंडेक्स का अनावरण किया गया है। यह सूचकांक 25 देशों के पांच प्रौद्योगिकी क्षेत्रों यथा- AI, जैव प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर्स, अंतरिक्ष और क्वांटम में प्रदर्शन का आकलन करता है।
- इसे हार्वर्ड कैनेडी स्कूल ने प्रकाशित किया है।
- इसमें 6 मापदंडों के आधार पर प्रत्येक प्रौद्योगिकी क्षेत्र की पहचान की गई है:
- भू-राजनीतिक महत्त्व,
- प्रणालीगत प्रभाव,
- GDP में योगदान,
- दोहरे उपयोग की क्षमता,
- आपूर्ति श्रृंखला जोखिम, और
- परिपक्व होने में लगने वाला समय।
प्रमुख निष्कर्ष
- भारत इन तकनीकी क्षेत्रों में शीर्ष तीन (अमेरिका, चीन और यूरोप) की तुलना में काफी पीछे है।
- भारत महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में पिछड़ा हुआ है।
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- क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज
- हार्वर्ड कैनेडी स्कूल
एपिजेनेटिक प्रोग्रामिंग
चीन के वैज्ञानिकों ने पहली बार DNA एडिटिंग तकनीक का उपयोग करके दो नर चूहों से प्रजनन-सक्षम चूहे विकसित किए हैं।
- यह नई खोज एपिजेनेटिक प्रोग्रामिंग को एक प्रजनन तकनीक के रूप में आगे बढ़ाती है, जिससे बिना मां के भी चूहे पैदा किए जा सकते हैं और उनके स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
एपिजेनेटिक प्रोग्रामिंग क्या है?
- एपिजेनेटिक्स: यह जीन अभिव्यक्ति में होने वाले वंशानुगत परिवर्तनों का अध्ययन है, जो अंतर्निहित DNA अनुक्रम में बदलाव किए बिना होते हैं।
- एपिजेनेटिक प्रोग्रामिंग: ये ऐसे जेनेटिक मॉडिफिकेशन यानी आनुवंशिक संशोधन हैं जो DNA अनुक्रम को बदले बिना जीन की गतिविधि को प्रभावित करते हैं।
- ये संशोधन DNA से जुड़े होते हैं तथा DNA के बिल्डिंग ब्लॉक्स के अनुक्रम को नहीं बदलते है।
- किसी कोशिका में DNA के पूर्ण सेट (जीनोम) में, वे सभी संशोधन जो जीन की गतिविधि (अभिव्यक्ति) को नियंत्रित करते हैं, उन्हें एपिजीनोम के रूप में जाना जाता है।
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- एपिजेनेटिक प्रोग्रामिंग
- एपिजीनोम