विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार भारत चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति और उसके निर्यात प्रतिबंधों पर वार्ता कर रहा है | Current Affairs | Vision IAS
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विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार भारत चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति और उसके निर्यात प्रतिबंधों पर वार्ता कर रहा है

Posted 27 Jun 2025

11 min read

चीन ने अप्रैल माह में एक नया नियम लागू किया था। इस नियम के तहत अब कंपनियों को दुर्लभ भू तत्वों (REEs) का निर्यात करने से पहले चीन सरकार से अनुमति लेनी होगी।

  • चीन विश्व के 90% से अधिक दुर्लभ भू तत्वों की प्रोसेसिंग करता है। 
  • ध्यातव्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के जवाब में चीन ने दुर्लभ भू-तत्वों (REEs) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है।  

दुर्लभ भू-तत्व (REE) क्या होते हैं?

  • परिभाषा: REEs चमकदार व चांदी जैसे सफेद रंग के मुलायम और भारी 17 धात्विक तत्वों का एक समूह है। इसमें आवर्त सारणी के 15 लैंथेनाइड्स के अलावा स्कैंडियम और यिट्रियम शामिल हैं। 
  • इन्हें महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) के रूप में वर्गीकृत किया गया है क्योंकि:
    • ये पृथ्वी में पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं, लेकिन इन्हें निकालना कठिन होता है क्योंकि ये संकेंद्रित समूहों में नहीं पाए जाते हैं। इनका व्यावसायिक खनन कठिन होता है। इनके बहुत कम सप्लायर होते हैं। रक्षा क्षेत्रक में इनका सामरिक महत्त्व होता है।
  • विशेषताएं:
    • REEs को धातुओं के साथ मिलाने से धातु में जंग नहीं लगती और ऊर्जा को संचित करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
    • ये इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उन्नत विनिर्माण (advanced manufacturing) में प्रदर्शन को बेहतर बनाते हैं।
    • REE मैग्नेट का उनकी उच्च अवशिष्ट चुंबकत्व (रेसिड्यूअल मैग्नेटिज्म) और कोएर्सिविटी (निग्राहिता) के कारण चुम्बकों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
      • इसकी वजह यह है कि इन तत्वों की परमाणु संरचना में बिना युग्म वाले (unpaired) इलेक्ट्रॉन्स की संख्या ज्यादा होती है।
  • उपयोग: ये तत्व एयरोस्पेस (अंतरिक्ष विज्ञान), रक्षा, ऑटोमोबाइल (गाड़ियों), और ऊर्जा प्रणालियों में बहुत जरूरी होते हैं।
    • उदाहरण: मोबाइल फोन, कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव, गाइडेंस सिस्टम, लेज़र, रडार, सोनार सिस्टम आदि।
  • वैश्विक भंडार:
    • चीन: 4.4 करोड़ मीट्रिक टन (दुनिया में सबसे ज्यादा);
    • ब्राज़ील: 2.1 करोड़ मीट्रिक टन (दूसरे स्थान पर);
    • भारत: लगभग 70 लाख मीट्रिक टन (दुनिया में पांचवें स्थान पर) आदि। 

भारत में प्रोसेसिंग (शोधन) की क्षमता कम होने के कारण REEs के लिए भारत अभी भी दूसरे देशों, विशेष रूप से चीन पर निर्भर है। नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) की शुरुआत 2025 में हुई थी। इसका उद्देश्य है – REEs सहित अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और विकास को बढ़ावा देना।

  • Tags :
  • महत्वपूर्ण खनिज
  • दुर्लभ भू तत्व
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला
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