चीन और पाकिस्तान की बढ़ती मिलीभगत के कारण भारत की सुरक्षा के समक्ष खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। इसकी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पुष्टि हो चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय थल सेना देश की सीमाओं पर तीव्र आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 'रुद्र' ब्रिगेड और 'भैरव' कमांडो बटालियन तैनात कर रही है।
भारतीय थल सेना की युद्धक क्षमताओं में संरचनात्मक सुधार
- थल सेना 'शक्तिबाण' नामक तोपखाने की रेजिमेंट की स्थापना कर रही है, जिसमें विशेष 'दिव्यदृष्टि' सर्विलांस और लोइटरिंग म्यूनिशन बैटरी शामिल होंगी।
- थल सेना ड्रोन युद्ध के मद्देनजर अपनी सभी इन्फैंट्री बटालियनों को ड्रोन प्लाटून से लैस करेगी।
- भैरव लाइट कमांडो बटालियन: नियमित इन्फैंट्री से गठित, इन बटालियनों को आधुनिक ड्रोन, गैजेट और हल्के हथियारों के साथ उच्च गति व उच्च गतिशीलता वाले अभियानों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
- रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेड: मौजूदा टुकड़ियों को इन्फैंट्री, मशीनीकृत इन्फैंट्री, टैंक, तोपखाने, UAVs और विशेष बलों को मिलाकर एकीकृत विन्यासों में परिवर्तित किया जा रहा है।
- यह थल सेना की कुछ विन्यासों को आत्मनिर्भर एकीकृत युद्धक समूहों (Integrated Battle Groups - IBGs) में पुनर्गठित करने के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव के अनुरूप है।
एकीकृत युद्धक समूह (IBGs) के बारे में
- अवधारणा: IBGs वस्तुतः ब्रिगेड-आकार के दक्ष व आत्मनिर्भर युद्धक विन्यास होते हैं, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में दुश्मन के विरुद्ध तेजी से हमले आरंभ कर सकते हैं।
- प्रत्येक IBG को थ्रेट, टेरेन और टास्क (3T) के आधार पर किसी विशेष उद्देश्य हेतु नियोजित किया जा सकता है और इसके लिए संसाधनों को 3T के आधार पर आवंटित किया जाएगा।
- आकार: प्रत्येक IBG में लगभग 5,000 सैन्यकर्मियों को शामिल किया जाएगा।
- ऑपरेशन पराक्रम के बाद, कोल्ड स्टार्ट या प्रो-एक्टिव ऑपरेशंस रणनीति के हिस्से के रूप में IBG सिद्धांत का उद्भव हुआ है।
- कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत: यह भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ सीमित क्षेत्र में, तीव्र और केंद्रित हमलों के लिए बलों को तेजी से एकत्र एवं तैनात करने हेतु विकसित एक सैन्य रणनीति है।
IBG परिचालन दर्शन
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