यह नया अनुसंधान केंद्र “स्वदेशीकरण से सशक्तीकरण” की अवधारणा पर केंद्रित है। साथ ही, प्रयोगशाला-स्तरीय नवाचारों को उपयोग योग्य तकनीकों में बदलने का लक्ष्य रखता है।
- यह केंद्र परिवर्तन के पांच स्तंभों पर आधारित है:
- प्रौद्योगिकी को आत्मसात करना,
- संरचनात्मक बदलाव करना,
- मानव संसाधन विकास करना,
- तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना, और
- भारत की सुरक्षा में आधुनिकीकरण एवं प्रौद्योगिकी के एकीकरण को आगे बढ़ाना।
रक्षा आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी समावेशन की आवश्यकता
- बढ़ता वैश्विक सैन्य व्यय: SIPRI के डेटा के अनुसार यह 2024 में 2,718 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था, जो 2023 की तुलना में 9.4% की वृद्धि दर्शाता है।
- विरोधियों का सामना करना: पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष ने यह स्पष्ट किया है कि विशेष रूप से नॉन-काइनेटिक वारफेयर में नवाचार की व्यापक संभावनाएं हैं।
- उभरते हुए क्षेत्र: साइबर, अंतरिक्ष, AI, हाइपरसोनिक, रोबोटिक्स जैसी प्रौद्योगिकियों के लिए संबंधित रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं का ज्ञान आवश्यक है।
- नवीन रुझान: हालिया संघर्षों में विविध सैन्य तकनीकों के उपयोग ने विकासशील देशों के लिए अपने रक्षा तंत्र को मजबूत और आधुनिक बनाने की अनिवार्यता को रेखांकित किया है।

रक्षा आधुनिकीकरण के लिए प्रमुख पहलें
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