इस रिपोर्ट का शीर्षक है- ‘भारत की हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) रणनीति का मूल्यांकन’ इस रिपोर्ट को हाल ही में लोक सभा में प्रस्तुत किया गया है।
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) का महत्त्व
- भू-सामरिक (Geostrategic) महत्त्व
- भारत: 11,098.81 किमी लंबी समुद्री तटरेखा, लगभग 1,300 द्वीप और 24 लाख वर्ग किलोमीटर का अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)।
- वैश्विक: यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। इसमें 35 तटीय देश हैं और यहां विश्व की एक-तिहाई जनसंख्या निवास करती है।
- आर्थिक महत्त्व
- भारत: भारत का 90% व्यापार और अधिकांश तेल आयात IOR के रास्ते होता है।
- वैश्विक: विश्व का 50% कंटेनर ट्रैफिक, 1/3 बल्क कार्गो और 2/3 तेल की आपूर्ति IOR से होकर गुजरता/ गुजरती है।
- पर्यावरणीय: यह विश्व का सबसे गर्म महासागर है। इसलिए, यह पर्यावरण की दृष्टि से सक्रिय और जैविक रूप से समृद्ध क्षेत्र है।

इस क्षेत्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियां
- भू-राजनीतिक: बंदरगाह/ अवसंरचना में निवेश (जैसे BRI, “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” आदि), जिबूती में सैन्य अड्डा, और पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंधों के जरिए हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी।
- समुद्री सुरक्षा: समुद्री डकैती; आतंकवाद; अवैध, असूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन; दुर्व्यापार; मादक पदार्थों की तस्करी आदि।
- अवसंरचना की कमी: लघु द्वीपीय और तटीय देशों की सीमित क्षमता।
मुख्य सिफारिशें
- SAGAR को MAHASAGAR में अपग्रेड करना: इसमें स्थिरता, व्यापार और पारस्परिक सुरक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए।
- SAGAR: क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास।
- MAHASAGAR: क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति।
- बहुपक्षीय सहयोग को गहरा करना: सुरक्षा एवं आर्थिक एकीकरण के लिए क्वाड, IORA और बिम्सटेक (BIMSTEC) का लाभ उठाना चाहिए।
- प्रवासी भारतीयों से जुड़ाव और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने पर जोर देना चाहिए।
- नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को प्रोत्साहित करना: हिंद-प्रशांत क्षेत्र के गवर्नेंस में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) और आसियान की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करना चाहिए।