भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने भारत का पहला स्वदेशी वाणिज्यिक भू-प्रेक्षण उपग्रह समूह बनाने के लिए चार निजी फर्मों के एक कंसोर्टियम का चयन किया है। इस कंसोर्टियम का नेतृत्व पिक्सेलस्पेस इंडिया नामक फर्म कर रही है।
- अन्य फर्मों में शामिल हैं: पियर्ससाइट स्पेस, सैटश्योर एनालिटिक्स इंडिया और ध्रुव स्पेस।
कार्यक्रम के बारे में
- प्रौद्योगिकी:
- 12 उपग्रहों में प्रत्येक मौसम व दिन-रात इमेजिंग की क्षमता होगी।
- ये उपग्रह पैनक्रोमैटिक, मल्टीस्पेक्ट्रल व हाइपरस्पेक्ट्रल सेंसर्स और सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) से लैस होंगे।
- PPP (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल:
- सरकार की भूमिका: रणनीतिक, तकनीकी और नीतिगत सहयोग।
- निजी क्षेत्रक: भू-प्रेक्षण प्रणालियों का स्वामित्व और संचालन (विनिर्माण, भारतीय प्रक्षेपण, ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा डेटा का व्यावसायीकरण)।
- उपयोग: यह जलवायु परिवर्तन की निगरानी, आपदा प्रबंधन, कृषि नियोजन, और उच्च-गुणवत्ता वाली भू-स्थानिक खुफिया जानकारी जैसी सेवाओं के लिए "एनालिसिस रेडी डेटा (ARD)" तथा "मूल्य-वर्धित सेवाएं" प्रदान करेगा।
- उपयोग अवधि: चार साल।
भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग के बारे में
- आर्थिक आकार: भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान में 8 बिलियन डॉलर की है। इसमें निजी क्षेत्रक की मजबूत भागीदारी के माध्यम से 2040 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है।
- बढ़ता निजी क्षेत्रक:
- भारत में 200 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स हैं।
- उदाहरण: "विक्रम-एस," मिशन प्रारंभ के तहत लॉन्च किया गया भारत का पहला रॉकेट था।
- इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) जैसे उद्योग संगठन सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- भारत में 200 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्ट-अप्स हैं।
- सरकारी सहायता:
- अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए IN-SPACe की स्थापना की गई है।
- भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023: यह विनियामक स्पष्टता और नीतिगत स्थिरता प्रदान करती है।
- उदारीकरण: 100% FDI की अनुमति है।
- वेंचर कैपिटल फंड: स्टार्ट-अप्स को वित्तीय मदद के लिए 1,000 करोड़ रुपये के एक फंड को मंजूरी दी गई है।
