इस सम्मेलन के दौरान मंत्रियों ने नई पहलों की पहचान की और निजी क्षेत्रक की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए निम्नलिखित छह ISMR के तहत प्रगति की समीक्षा की:
- एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, कनेक्टिविटी, डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य देखभाल, कौशल विकास और संधारणीयता।
भारत-सिंगापुर संबंधों के बारे में

- राजनयिक संबंध: भारत 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले देशों में से एक था।
- दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर 2005 में हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी (2015) और व्यापक रणनीतिक साझेदारी (2024) तक बढ़ाया है।
- वर्ष 2025 दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों का 60वां वर्ष है।
- व्यापार और निवेश: 2023-24 में 3.2% की हिस्सेदारी के साथ सिंगापुर आसियान समूह में भारत का सबसे बड़ा और विश्व स्तर पर छठा व्यापारिक साझेदार रहा।
- डिजिटल और फिनटेक: सिंगापुर में UPI-PayNow क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स और RuPay स्वीकृति है।
- बहुपक्षीय सहभागिता: सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन आदि का सदस्य है।
- युद्ध अभ्यास: अग्नि वारियर (थल सेना) और सिम्बेक्स (नौसेना)।
- लोगों के मध्य जुड़ाव: सिंगापुर की जनसंख्या में 9% भारतीय प्रवासी हैं।
- सिंगापुर में तमिल आधिकारिक भाषाओं में से एक है।
भारत के लिए महत्त्व
- आसियान ब्रिज: यह एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक लक्ष्यों का समर्थन करते हुए आसियान के साथ भारत के व्यापार, कनेक्टिविटी, सुरक्षा एवं आतंकवाद विरोधी संबंधों को मजबूत करता है।
- संकट में सहयोग: कोविड-19 के दौरान भारत ने वैक्सीन मैत्री पहल के तहत वैक्सीन की आपूर्ति की थी और सिंगापुर ने भारत को चिकित्सा सहायता एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति की थी।
- चीन को प्रतिसंतुलित करना: चांगी नौसैनिक अड्डे तक पहुंच से भारत को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने और चीन के प्रभाव को प्रतिसंतुलित करने में मदद मिलेगी।