सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल और राज्य मंत्रिमंडल के मंत्रियों सहित लगभग 47% मंत्रियों ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। इन मामलों में से 27% मामले गंभीर अपराध के हैं।
राजनीति का अपराधीकरण
राजनीति के अपराधीकरण से तात्पर्य राजनीतिक एवं चुनावी प्रक्रिया में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों के प्रवेश और भागीदारी से है।
राजनीति के अपराधीकरण के कारण

- राजनेता-अपराधी गठजोड़: अपराधी अपने बचाव (या प्रतिरक्षा) और वैधता प्राप्त करने के लिए राजनीति में प्रवेश करते हैं। वहीं दूसरी ओर, राजनेता और राजनीतिक दल उन्हें अपने बाहुबल और वित्तीय शक्ति के लिए उपयोग करते हैं। इस प्रकार पारस्परिक लाभ का एक दुष्चक्र बन जाता है।
- वोहरा समिति की रिपोर्ट (1993) ने भारतीय प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था में राजनेताओं, अपराधियों और नौकरशाहों के गठजोड़ पर प्रकाश डाला है।
- "विजयी होने की संभावना वाले" उम्मीदवार: ADR के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, आपराधिक आरोपों वाले उम्मीदवारों की सफलता दर 15.3% थी, जबकि बिना किसी आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की सफलता दर बहुत कम अर्थात केवल 4.4% थी।
- चुनावों की उच्च लागत: चुनाव अभियानों के वित्तपोषण के लिए उम्मीदवार और दल अक्सर "काले धन" और माफिया से प्राप्त धन पर निर्भर रहते हैं।
- धीमी न्याय व्यवस्था: सांसदों (MPs) और विधायकों (MLAs) की कम दोषसिद्धि दर तथा मुकदमों में विलंब, राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने से नहीं रोकती है।
- ADR की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार 2009 से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसदों की संख्या में 55% की वृद्धि हुई है
- पहचान की राजनीति: भारतीय समाज जाति, धर्म, समुदाय और भाषा के आधार पर गहराई से विभाजित है। अपराधी इन विभाजनों का लाभ उठाकर चुनावी प्रक्रिया में प्रवेश करते हैं और खुद को अपने विशेष समूह के रक्षक के रूप में पेश करते हैं।
राजनीति के अपराधीकरण को कम करने के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधान
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951
- धारा 8 के अंतर्गत अयोग्यता: जघन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए या दो वर्ष अथवा उससे अधिक की सजा पाने वाले व्यक्तियों को अयोग्य घोषित किया जाता है।
- धारा 11: यह धारा निर्वाचन आयोग को अयोग्यता की अवधि को हटाने या कम करने की शक्ति प्रदान करती है। इस शक्ति का उपयोग सितंबर 2019 में प्रेम सिंह तमांग की अयोग्यता अवधि को कम करने के लिए किया गया था।
- हालिया पहल
- 130वां संवैधानिक संशोधन विधेयक: यह विधेयक अनुच्छेद 75 और 164 में संशोधन करने का प्रयास करता है। इसमें उपबंधित है कि यदि किसी मंत्री को ऐसे अपराध के लिए गिरफ्तार करके लगातार 30 दिनों तक जेल में रखा जाता है, जिसके लिए कम से कम पांच वर्ष की सजा निर्धारित की गई हो, तो उस मंत्री को उसके पद से हटा दिया जाएगा।

आगे की राह
- झूठे हलफनामों के लिए दंड बढ़ाया जाना: झूठे हलफनामे दाखिल करने की सजा को बढ़ाकर न्यूनतम दो वर्ष कारावास किया जाना चाहिए। साथ ही, इस अपराध को अयोग्यता का आधार भी बनाया जाना चाहिए। यह अनुशंसा 244वीं विधि आयोग रिपोर्ट, 2014 द्वारा की गई थी।
- निर्वाचन के लिए समर्पित पीठ: उच्च न्यायालयों को चुनाव याचिकाओं की दैनिक सुनवाई के लिए समर्पित चुनाव पीठों की स्थापना करनी चाहिए, ताकि उम्मीदवारों की अयोग्यता से पहले समय पर दोषसिद्धि सुनिश्चित हो सके।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 11 की समीक्षा: गंभीर अपराधों के लिए दोषसिद्धि को अयोग्यता की अवधि कम करने के निर्वाचन आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर रखा जाना चाहिए।
- वित्तीय एवं पारदर्शिता संबंधी सुधार: राजनीतिक दलों को RTI अधिनियम, 2005 के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।