यह बुलेटिन वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन के बीच गहरे अंतर्संबंध पर प्रकाश डालता है। साथ ही स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी-तंत्र और अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए समग्र कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देता है।
बुलेटिन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- PM2.5 प्रदूषण: यह एक बड़ा वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम है, जिससे हर साल लाखों लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है।
- उत्तरी अमेरिका, यूरोप और पूर्वी एशिया में सख्त नियमों के कारण इसके स्तर में कमी देखी गई है, लेकिन दक्षिण एशिया और उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में इसकी सांद्रता अब भी ज्यादा है। इसका मुख्य कारण यहां के जंगलों में लगने वाली आग और औद्योगिक गतिविधियां हैं।
- पोत परिवहन उत्सर्जन नियम (MARPOL VI): समुद्री ईंधन में सल्फर की मात्रा कम करने से स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, लेकिन सल्फेट एरोसोल के शीतलन प्रभाव को कम करने के कारण ग्लोबल वार्मिंग में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है।
- वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन: धरातलीय ओज़ोन जैसे प्रदूषक वातावरण को गरम करते हैं, वहीं जलवायु परिवर्तन रासायनिक अभिक्रियाओं, बायोजेनिक उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियों को बदलकर प्रदूषण को प्रभावित करता है।
- एरोसोल: गहरे रंग के एरोसोल (जैसे- ब्लैक कार्बन) सौर विकिरण को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे तापमान बढ़ता है। इसके विपरीत, चमकीले रंग के एरोसोल (जैसे- सल्फेट) सौर विकिरण को परावर्तित कर देते हैं, जिससे अस्थायी रूप से ठंडक पैदा होती है।
उत्तर भारत में शीतकालीन कोहरे की समस्या (बुलेटिन द्वारा उजागर)
- सिंधु-गंगा के मैदान में मानव गतिविधियों के कारण सर्दियों का कोहरा और वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
- कारण:
- कोहरा तब बनता है, जब नमी वाहनों, उद्योगों व पराली जलाने से निकलने वाले PM2.5 कणों पर संघनित होती है। ये कण "कोहरा संघनन केंद्रक" (Fog Condensation Nuclei - FCN) का काम करते हैं।
- तापमान व्युत्क्रमण (Temperature inversions) इन प्रदूषकों को फंसा लेता है, जिससे घना कोहरा लंबे समय तक बना रहता है। शहरीकरण, ईंट भट्टे और अमोनियम उत्सर्जन इस समस्या को और बढ़ा देते हैं।
- परिणाम: बहुत अधिक ट्रैफिक जाम और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं (जैसे अस्थमा) होती हैं। कोहरे के पानी में मौजूद जहरीले तत्व भी चिंता का विषय हैं।
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