स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और आर्क इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से पहला वायरल जीनोम विकसित किया है।
- उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी AI मॉडल्स का उपयोग DNA अनुक्रम, एकल प्रोटीन और एक से अधिक प्रोटीन इकाइयों वाले समूह जनरेट करने के लिए किया जा चुका है।
AI द्वारा डिजाइन किए गए वायरल जीनोम के बारे में
- उपलब्धि: वैज्ञानिकों ने सुसंगत वायरल जीनोम डिजाइन करने के लिए AI का उपयोग किया है। इससे बैक्टीरियोफेज का निर्माण हुआ है, जो एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया को प्रभावी ढंग से लक्षित/ नष्ट कर सकता है।
- तरीका: शोधकर्ताओं ने Evo AI जीनोमिक मॉडल का उपयोग करके एक छोटे बैक्टीरियोफेज (ΦX174) को पुनः डिजाइन किया, जो बैक्टीरिया ई. कोलाई को संक्रमित करता है।
जैव विज्ञान में AI के संभावित उपयोग
- जैव प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा में: इससे दवाओं और टीकों के विकास में तेजी लाई जा सकती है, जिससे उपचार अधिक प्रभावी हो सकेगा।
- जीवाणु नियंत्रण: इसके द्वारा दवा-प्रतिरोधी जीवाणुओं को लक्षित करने या नष्ट करने के लिए विशेष वायरस तैयार किए जा सकते हैं।
- अनुसंधान: यह औद्योगिक, कृषि और वैज्ञानिक क्षेत्रों में प्रयोग के लिए नए अवसर उपलब्ध कराएगा।
- उदाहरण के लिए- डीपमाइंड के अल्फाफोल्ड ने 50 साल पुरानी चुनौती “प्रोटीन स्ट्रक्चर/ शेप प्रिडिक्शन” को हल कर दिया है।
- सिंथेटिक बायोलॉजी: यह जैव ईंधन, जैव निम्नीकरणीय सामग्री और इंजीनियर्ड सूक्ष्मजीवों के विकास को सक्षम बनाता है।
- अन्य: यह जीन इंटरेक्शन, एवोलूशन एंड रेगुलेशन के बारे में गहरी समझ प्रदान करेगा।
जैव विज्ञान में AI के उपयोग से संबंधित मुद्दे
- दोहरे-उपयोग संबंधी जोखिम: इस प्रौद्योगिकी का उपयोग खतरनाक रोगाणुओं या जैव-हथियारों के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
- जैव सुरक्षा: इससे वायरस या जीवाणुओं के गैर-इरादतन प्रसार से पारिस्थितिकीय और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।
- बायो एथिक्स और विनियमन: इससे संबंधित वैश्विक दिशा-निर्देशों का अभाव जवाबदेही से जुड़ी चिंताएं उत्पन्न करता है।
- AI पर निर्भरता: AI पर अत्यधिक निर्भरता से मानवीय पर्यवेक्षण कम हो सकता है, जिससे त्रुटियों का जोखिम बढ़ सकता है।