जर्मनी के शोधकर्ताओं ने RNA साइलेंसिंग पर आधारित एंटीवायरल एजेंट का विकास किया है। यह एजेंट क्यूकम्बर मोज़ेक वायरस (CMV) से सुरक्षा प्रदान करता है।
- भारत में, CMV के संक्रमण की वजह से केले की खेती में 25-30% तक उपज की हानि दर्ज की जाती है।
क्यूकम्बर मोज़ेक वायरस (CMV) के खिलाफ पादप प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपयोग की गई तकनीकें:
- शोधकर्ताओं ने RNA-आधारित फसल सुरक्षा तकनीकों की मदद ली है। इन तकनीकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- होस्ट-इंड्यूस्ड जीन साइलेंसिंग (HIGS):
- इसमें पादपों को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है, ताकि वे अपनी कोशिकाओं के भीतर वायरस से लड़ने वाले डबल-स्ट्रैंडेड RNA (dsRNA) का निर्माण कर सकें।
- यह पादपों को उनकी पूरी जीवन अवधि में निरंतर सुरक्षा प्रदान करता है।
- स्प्रे-इंड्यूस्ड जीन साइलेंसिंग (SIGS):
- इस तकनीक में पादपों पर RNA स्प्रे किया जाता है।
- पत्ते इस RNA को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे DNA को बदले बिना पादपों की प्राकृतिक प्रतिरक्षा अभिक्रिया सक्रिय हो जाती है।
- होस्ट-इंड्यूस्ड जीन साइलेंसिंग (HIGS):
RNA साइलेंसिंग (RNAi) के उपयोग से पादपों की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली कैसे कार्य करती है?
- जब कोई वायरस पादप को संक्रमित करता है, तो वह डबल-स्ट्रैंडेड RNA (dsRNA) छोड़ता है। यह dsRNA पादप के लिए चेतावनी संकेत के रूप में कार्य करता है।
- पादप इस चेतावनी संकेत के प्रत्युत्तर में डाइसर-लाइक एंजाइम (DCLs) को सक्रिय करता है। यह एंजाइम dsRNA को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता है, जिन्हें स्मॉल इंटरफेरिंग RNA (siRNA) कहा जाता है।
- ये siRNA फिर पादप प्रतिरक्षा प्रणाली का मार्गदर्शन करते हैं, ताकि वह वायरल RNA को नष्ट कर सके।
- हालांकि, सभी siRNA प्रभावी नहीं होते और वायरस अक्सर तेजी से उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) करके पादप की प्राकृतिक सुरक्षा से बचने में सफल हो जाते हैं।
RNA साइलेंसिंग क्या है:
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