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RNA एडिटिंग (RNA Editing)

26 Dec 2024
12 min

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, मनुष्यों में RNA एडिटिंग का पहला सफल नैदानिक प्रदर्शन किया गया।

अन्य संबंधित तथ्य 

  • संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी वेव लाइफ साइंसेज ने अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी (AATD, एक वंशानुगत विकार) के इलाज के लिए सफलतापूर्वक RNA एडिटिंग की है। 
  • AATD में, प्रोटीन α-1 एंटीट्रिप्सिन का स्तर बढ़ जाता है और यह यकृत व फेफड़ों को प्रभावित करता है।

RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) एडिटिंग के बारे में 

  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें RNA अनुक्रमों पर आनुवंशिक जानकारी को संशोधित किया जाता है। यह कार्य न्यूक्लियोटाइड्स को शामिल करके, उसे हटाकर या बदलकर किया जाता है।
  • वैज्ञानिकों ने इस कार्य में गाइड RNA (gRNA) के साथ 'एडिनोसिन डीएमिनेज एक्टिंग ऑन RNA (ADAR)' नामक तकनीक का उपयोग किया है। (इंफोग्राफिक्स देखें) 
    • gRNA छोटे RNA अणु होते हैं। ये संशोधन के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में mRNA के साथ क्षार-युग्मन करके एडिटिंग मशीनरी को निर्देशित करते हैं। 
  • प्रक्रिया: 
    • RNA के चार बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं: A (एडेनिन), G (गुआनिन), U (यूरेसिल), और C (साइटोसिन)।
    • ADAR तकनीक mRNA में एडिनोसिन को इनोसिन में परिवर्तित करती है। यह इनोसिन ग्वानोसिन के कार्य की नकल करता है। एडिनोसिन और ग्वानोसिन क्रमशः A एवं G को राइबोज के साथ संयोजित करने वाले न्यूक्लियोसाइड्स हैं। 
    • कोशिका एडिनोसिन की जगह पर इनोसिन को डिटेक्ट करती है। इस असंगत मेल को ठीक करने के लिए कोशिकीय प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है। 
    • इस प्रकार यह प्रक्रिया mRNA के मूल कार्य को पुनर्स्थापित करती है और कोशिका सामान्य प्रोटीन बनाना शुरु कर देती है।
  • RNA एडिटिंग में चुनौतियां: विशिष्टता का अभाव और क्षणिक प्रकृति, विकास प्रक्रिया का शुरुआती चरण, आदि।

RNA और DNA एडिटिंग के बीच तुलना

  • परिवर्तन का स्वरूप: DNA एडिटिंग स्थायी परिवर्तन करती है, जबकि RNA एडिटिंग अस्थायी परिवर्तन करती है, जो समय के साथ लुप्त हो सकता है। 
    • इस प्रकार, RNA एडिटिंग, DNA एडिटिंग की तुलना में अधिक सुरक्षित और लचीली होती है। ज्ञातव्य है कि DNA एडिटिंग के परिणामस्वरूप अपरिवर्तनीय त्रुटियां हो सकती हैं। 
  • एलर्जी और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं:  RNA एडिटिंग की तुलना में DNA एडिटिंग में अवांछनीय प्रतिक्रियाओं का जोखिम अधिक होता है।
    • DNA एडिटिंग टूल, कटिंग फंक्शन के लिए जीवाणु से प्राप्त प्रोटीन का उपयोग करते हैं। वहीं RNA एडिटिंग ADAR एंजाइम पर निर्भर करती है, जो पहले से ही मानव शरीर में ही पाए जाते हैं। 

 

 

 

 

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