सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, मनुष्यों में RNA एडिटिंग का पहला सफल नैदानिक प्रदर्शन किया गया।
अन्य संबंधित तथ्य
- संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी वेव लाइफ साइंसेज ने अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी (AATD, एक वंशानुगत विकार) के इलाज के लिए सफलतापूर्वक RNA एडिटिंग की है।
- AATD में, प्रोटीन α-1 एंटीट्रिप्सिन का स्तर बढ़ जाता है और यह यकृत व फेफड़ों को प्रभावित करता है।
RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) एडिटिंग के बारे में
- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें RNA अनुक्रमों पर आनुवंशिक जानकारी को संशोधित किया जाता है। यह कार्य न्यूक्लियोटाइड्स को शामिल करके, उसे हटाकर या बदलकर किया जाता है।
- वैज्ञानिकों ने इस कार्य में गाइड RNA (gRNA) के साथ 'एडिनोसिन डीएमिनेज एक्टिंग ऑन RNA (ADAR)' नामक तकनीक का उपयोग किया है। (इंफोग्राफिक्स देखें)
- gRNA छोटे RNA अणु होते हैं। ये संशोधन के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में mRNA के साथ क्षार-युग्मन करके एडिटिंग मशीनरी को निर्देशित करते हैं।
- प्रक्रिया:
- RNA के चार बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं: A (एडेनिन), G (गुआनिन), U (यूरेसिल), और C (साइटोसिन)।
- ADAR तकनीक mRNA में एडिनोसिन को इनोसिन में परिवर्तित करती है। यह इनोसिन ग्वानोसिन के कार्य की नकल करता है। एडिनोसिन और ग्वानोसिन क्रमशः A एवं G को राइबोज के साथ संयोजित करने वाले न्यूक्लियोसाइड्स हैं।
- कोशिका एडिनोसिन की जगह पर इनोसिन को डिटेक्ट करती है। इस असंगत मेल को ठीक करने के लिए कोशिकीय प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है।
- इस प्रकार यह प्रक्रिया mRNA के मूल कार्य को पुनर्स्थापित करती है और कोशिका सामान्य प्रोटीन बनाना शुरु कर देती है।
- RNA एडिटिंग में चुनौतियां: विशिष्टता का अभाव और क्षणिक प्रकृति, विकास प्रक्रिया का शुरुआती चरण, आदि।
RNA और DNA एडिटिंग के बीच तुलना
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