इस रिपोर्ट में इस तथ्य को उजागर किया गया है कि विशेष रूप से संसाधन सीमित क्षेत्रों में जीवन रक्षक एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी काफी अधिक है और बढ़ भी रहा है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- वैश्विक स्तर पर एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोध की व्यापकता: 2023 में, वैश्विक स्तर पर प्रत्येक छह बैक्टीरियल संक्रमणों में से लगभग एक संक्रमण एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण हुआ है।
- क्षेत्रीय हॉटस्पॉट्स: एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) प्रसार दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में सबसे अधिक पाया गया है, उसके बाद अफ्रीकी क्षेत्र का स्थान है।
- सुभेद्य देशों पर प्रभाव: AMR निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) तथा अकुशल स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों वाले देशों को अधिक प्रभावित करता है।
- भारत से संबंधित परिणाम: रक्त प्रवाह संक्रमण के लगभग 41% मामले चीन, भारत और पाकिस्तान में पाए गए हैं।
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) क्या है?
- AMR तब होता है, जब बैक्टीरिया, वायरस और कवक जैसे रोगजनक उन दवाओं से बचने की क्षमता विकसित कर लेते हैं, जो उन्हें नष्ट करने के लिए बनाई गई होती हैं।
- हालांकि, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का अर्थ है जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के असर का प्रतिरोध करने के लिए स्वयं में बदलाव कर लेते हैं।
- WHO के अनुसार, AMR सुपरबग्स से प्रतिवर्ष प्रत्यक्ष रूप से लगभग 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है तथा यह अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 5 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार है।
भारत में AMR के लिए उत्तरदायी कारक
- अत्यधिक उपभोग: एंटीबायोटिक्स की ओवर-द-काउंटर उपलब्धता के कारण बिना डॉक्टर की सलाह के इसका गलत तरीके से और अधिक उपयोग किया जाता है।
- स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभाल: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों और क्लीनिकों में, अत्यधिक भीड़-भाड़, निम्नस्तरीय स्वच्छता तथा अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाएं देने की प्रवृत्ति।
- कृषि: कृषि और कुक्कुट पालन में भी एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग किया जाता है।
- इस संकट को बढ़ाने वाले कारक: सामाजिक-आर्थिक असमानताएं और जलवायु परिवर्तन इस संकट को और बदतर बना रहे हैं।
AMR को रोकने के लिए उठाए गए कदम:
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