“वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI), 2025” रिपोर्ट जारी की गई | Current Affairs | Vision IAS
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रिपोर्ट में बहुआयामी गरीबी में 1.1 अरब लोगों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है, जबकि भारत अपनी गरीबी दर को घटाकर 16.4% पर लाने में कामयाब रहा है। प्रमुख चुनौतियों में जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता और बुनियादी सेवाओं का अभाव शामिल है।

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रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • वैश्विक स्तर पर निर्धन आबादी: 109 देशों की 6.3 बिलियन आबादी में से 1.1 बिलियन (18.3%) लोग चरम बहुआयामी निर्धनता में जीवन यापन कर रहे हैं।
    • इनमें से 43.6% लोग ऐसे हैं, जिन्हें आधे या उससे अधिक MPI संकेतकों में गंभीर वंचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
    • इनमें से 83.2% लोग उप-सहारा अफ्रीका (565 मिलियन) और दक्षिण एशिया (390 मिलियन) में रहते हैं।
  • भारत में बहुआयामी निर्धनता: भारत में यह दर 2005–06 की 55.1% से घटकर 2019–2021 में 16.4% रह गई है। लगभग 414 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है।
  • सामान्य वंचनाएं: स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन की कमी, अपर्याप्त आवास, और खराब स्वच्छता सुविधाएं। 
  • गरीबी और जलवायु संबंधी खतरों का दोहरा बोझ: 80% से अधिक गरीब आबादी जलवायु जोखिम वाले क्षेत्रों में रहती है।
    • दक्षिण एशिया में जलवायु जोखिम वाले क्षेत्रों में गरीबों की संख्या सबसे अधिक है।
  • लघु द्वीपीय विकासशील देश (SIDS): 22 SIDS देशों में निर्धनता दर 23.5% है, जो विकासशील देशों के औसत (18.3%) से अधिक है।
    • वैश्विक उत्सर्जन के कारण बेलीज़, कोमोरोस और समोआ जैसे देशों में समुद्र का जलस्तर 2080–2099 तक 70 सेंटीमीटर तक बढ़ने का अनुमान है, जिससे गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI) के बारे में

  • जारीकर्ता: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) द्वारा 2010 से हर साल जारी किया जा रहा है।
  • कार्यप्रणाली: यह सूचकांक 3 आयामों और 10 संकेतकों पर आधारित है।

प्रमुख संकेतकों के मापदंड

  • स्वास्थ्य 
    • पोषण: 70 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति, जिसके लिए पोषण संबंधी जानकारी कुपोषित के रूप में उपलब्ध है।
    • बाल मृत्यु दर: सर्वेक्षण से पहले के पांच वर्षों की अवधि में सर्वेक्षण वाले घर में 18 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे की मृत्यु हुई हो।
  • शिक्षा 
    • स्कूलिंग के वर्ष: घर के किसी भी पात्र सदस्य ने 6 वर्ष की स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की हो। 
    • स्कूल में उपस्थिति: स्कूल जाने की उम्र का कोई भी बच्चा उस उम्र तक स्कूल नहीं जा रहा है, जिस उम्र में उसे कक्षा 8 पूरी कर लेनी चाहिए थी।
  • जीवन स्तर: स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छता, पेयजल आदि तक पहुंच। 
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