प्रधान मंत्री ने समुद्री अमृत काल विज़न 2047 के अंतर्गत ग्लोबल मरीन लीडर बनने की दिशा में भारत के समुद्री क्षेत्रक को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित पहलों का भी अनावरण किया:
- स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता: तेल और गैस संबंधी सार्वजनिक उपक्रमों ने 59 जहाज निर्माण हेतु 47,800 करोड़ रुपये के ऑर्डर जारी किए हैं।
- शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) ने 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ 2047 तक अपने बेड़े को 216 जहाजों तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
भारत के समुद्री क्षेत्रक की उपलब्धियां
- भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण: मात्रा के हिसाब से भारत का लगभग 95% व्यापार और मूल्य के हिसाब से लगभग 70% व्यापार समुद्री मार्गों से होता है।
- पत्तन की क्षमता बढ़कर दोगुनी हुई: यह 2014 में लगभग 1,400 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) थी, जो 2024-2025 में बढ़कर 2,762 MMTPA हो गई।
- जहाज के औसत टर्नअराउंड समय में कमी: 2014 में यह औसतन 93 घंटे था, जो 2025 में घटकर केवल 48 घंटे रह गया। इससे वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हुआ है।
- भारत में जहाज संचालन संबंधी कार्यबल (सीफेरर वर्कफोर्स): यह 2014 में 1.25 लाख से बढ़कर 2025 में 3 लाख से अधिक हो गया। यह वैश्विक सीफेरर वर्कफोर्स का 12% है। इससे भारत प्रशिक्षित सीफेरर वर्कफोर्स के विश्व के शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन गया है।
- कानून द्वारा प्रोत्साहन: मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 2025, तटीय पोत-परिवहन अधिनियम, 2025, भारतीय पत्तन अधिनियम, 2025 जैसे विभिन्न कानूनों के माध्यम से समुद्री क्षेत्रक को बढ़ावा मिला है।
भारत के समुद्री क्षेत्रक को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
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