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इंटरपोल (INTERPOL)

05 Mar 2025
36 min

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, इंटरपोल ने अपना पहला सिल्वर नोटिस जारी किया है। सिल्वर नोटिस एक पायलट प्रोजेक्ट है, जिसमें भारत समेत 52 देश शामिल हैं। साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटरपोल से बिना बाधा के संपर्क स्थापित करने के लिए भारतपोल पोर्टल (BHARATPOL portal) भी लांच किया।

भारतपोल पोर्टल के बारे में

  • पोर्टल: भारतपोल, इंटरनेशनल पुलिस से सहयोग प्राप्त करने के लिए डेवलप किया गया एक ऑनलाइन पोर्टल है। इस ऑनलाइन पोर्टल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने विकसित किया है।
    • इसके जरिए भारत में प्रत्येक जांच एजेंसी और पुलिस बल इंटरपोल के साथ सहजता से जुड़ सकेंगे, जिससे जांच में तेजी आएगी।
  • भारतपोल के पांच प्रमुख मॉड्यूल्स
    • कनेक्ट: यह भारत की सभी कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को इंटरपोल के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB-नई दिल्ली) की विस्तार एजेंसी के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाता है।
    • इंटरपोल नोटिस: यह मॉड्यूल इंटरपोल द्वारा नोटिस जारी करने के अनुरोधों का त्वरित, सुरक्षित और व्यवस्थित प्रसारण सुनिश्चित करेगी। इससे भारत एवं विश्व में कहीं भी अपराधियों का तेजी से पता लगाने के लिए वैज्ञानिक आधार वाली व्यवस्था तैयार हो सकेगी।
    • रेफरेंस: यह इंटरपोल के अन्य 195 सदस्य देशों (भारत सहित 196 सदस्य) के डेटा एवं रेफरेंस प्राप्त करने में मदद करेगा। इससे विदेशों में जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी
    • ब्रॉडकास्ट: 195 अन्य सदस्य देशों से सहायता के लिए अनुरोध ब्रॉडकास्ट के माध्यम से तुरंत उपलब्ध होंगे।
    • रिसोर्स: यह मॉड्यूल डाक्यूमेंट्स के आदान-प्रदान और प्रबंधन तथा क्षमता निर्माण पहलों को आसान बनाता है।

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) के बारे में

  • उत्पत्ति: इसका गठन 1923 में वियना में द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय पुलिस कांग्रेस में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग (International Criminal Police Commission: ICPC) के रूप में किया गया था।
    • वर्ष 1956 में ICPC की 25वीं महासभा में नये संविधान को अपनाने के बाद इसका नाम बदलकर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) कर दिया गया।
  • सदस्य: 196 देश (भारत सहित) इसके सदस्य हैं। भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है।
  • मुख्यालय: ल्योन (फ्रांस)।
  • राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (National Central Bureau: NCBs): सदस्य देशों द्वारा इंटरपोल के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो का गठन किया जाता है।
    • NCB इंटरपोल के सुरक्षित विश्वव्यापी पुलिस संचार नेटवर्क 'I-24/7 के माध्यम से महा-सचिवालय से जुड़ता है।
    • भारत ने CBI को इंटरपोल का राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB) घोषित किया है।
  • शासी निकाय: महासभा और कार्यकारी समिति।
    • महासभा/ जनरल असेंबली (GA) इंटरपोल का सर्वोच्च शासी निकाय है। इसमें प्रत्येक सदस्य देश के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ये वर्ष में एक बार बैठक करते हैं।
    • कार्यकारी समिति में 13 सदस्य देश शामिल होते हैं। यह समिति महासभा के निर्णयों के क्रियान्वयन तथा महा-सचिवालय (General Secretariat) के प्रशासन एवं कार्यों की देखरेख के लिए जिम्मेदार शासी निकाय है।
      • इसमें अध्यक्ष सहित 13 सदस्य होते हैं तथा इसकी बैठक वर्ष में तीन बार होती है। ध्यातव्य है कि अध्यक्ष चार वर्ष के लिए चुना जाता है। इनका चुनाव इंटरपोल-महासभा द्वारा किया जाता है।
  • नोटिस: इंटरपोल के कलर कोडेड नोटिस, सदस्य देशों के लिए सहयोग या अलर्ट के लिए जारी किए गए अंतर्राष्ट्रीय अनुरोध होते हैं। ये सदस्य देशों की पुलिस को गंभीर अपराध से संबंधित जानकारी को साझा करने में मदद करते हैं।
    • NCB के अनुरोध पर महा-सचिवालय द्वारा नोटिस जारी किए जाते हैं तथा इसे सभी सदस्य देशों को उपलब्ध कराया जाता है। 

इंटरपोल में भारत की भूमिका

  • राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB) के रूप में CBI
    • इंटरपोल संपर्क अधिकारी (INTERPOL Liaison Officers: ILOs): CBI भारत की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (केंद्रीय और राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर) को इंटरपोल के साथ सहयोग करने के लिए नामित ILOs के माध्यम से आपस में जोड़ती है।
      • ये ILOs यूनिट ऑफिसर्स (UOs) के साथ मिलकर कार्य करते हैं, जो आमतौर पर अपने संबंधित संगठनों में पुलिस अधीक्षक, पुलिस आयुक्त या ब्रांच-प्रमुख जैसे पदों पर होते हैं।
    • ग्लोबल ऑपरेशंस सेंटर (GOC): नई दिल्ली स्थित CBI का ग्लोबल ऑपरेशंस सेंटर 24x7 आधार पर रेफरेंस पर शीघ्रतापूर्वक अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन सहायता प्रदान करने के लिए कार्य करता है।
  • इंटरपोल यंग ग्लोबल पुलिस लीडर्स प्रोग्राम 2023: भारत द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया भर के युवा पुलिस लीडर्स को प्रशिक्षित करना तथा उनमें अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य और समझ विकसित करने में मदद करना है।

 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस सहयोग की आवश्यकता क्यों है?

  • अपराधों की अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति: मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध व्यापार और तस्करी जैसे अपराध किसी एक राष्ट्र की सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहते हैं।
    • उदाहरण के लिए, इंटरपोल ने साइबर क्षेत्र से जुड़े हुए वित्तीय अपराधों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समन्वय को मजबूत करने के लिए ऑपरेशन HAECHI शुरू किया।
  • नए युग की आपराधिक गतिविधियां: साइबर अपराध, कट्टरपंथ और मानव तस्करी जैसे नए खतरे वैश्विक कानून में मौजूद खामियों का फायदा उठाते हैं।
    • उदाहरण के लिए, नवंबर 2024 में, इंटरपोल ने ऑपरेशन सेरेन्गेटी के तहत अफ्रीका के 19 देशों में 1,000 से अधिक संदिग्ध साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया। इन अपराधियों ने 35,000 से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया था।
  • आतंकवाद-रोधी प्रयास: खुफिया जानकारी साझा करना और विश्व की खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल के माध्यम से कानून प्रवर्तन संबंधी कार्रवाइयां दुनिया भर में आतंकी हमलों के वित्त-पोषण, हमलों के लिए लोगों की भर्ती करने और हमले को अंजाम देने के लिए बनाए गए आतंकवादी नेटवर्क का पता लगाने के लिए जरूरी है।  
  • विधिक सहायता तंत्र को मजबूत करना: अफ्रीका में मानव तस्करी गतिविधियों में संलग्न संगठित आपराधिक नेटवर्क को नष्ट करने के लिए इंटरपोल के ऑपरेशन फ्लैश-वेका को 54 देशों की भागीदारी में चलाया गया था।
  • संसाधनों का इष्टतम उपयोग: खुफिया जानकारी साझा करने, अंतर्राष्ट्रीय अपराधों को कम करने तथा आधुनिक युग की आपराधिक गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए संसाधनों को एकत्रित करना एवं उनका बेहतर उपयोग करना आवश्यक है।

अंतर्राष्ट्रीय पुलिस के साथ सहयोग में मौजूद बाधाएं   

  • कानून और प्रक्रियाओं में अंतर: अलग-अलग देशों में कानून प्रणालियों, आपराधिक कानूनों और मानवाधिकार मानकों में अंतर होने के कारण जांच प्रक्रियाओं, साक्ष्य संग्रह और मुकदमा चलाने में समस्या उत्पन्न होती है।
  • संस्कृति से जुड़ी बाधाएं: अलग-अलग भाषाओं की वजह से सही तरीके से संचार नहीं हो पाता है, देशों की अलग-अलग संस्कृतियां भी जांच में समस्या उत्पन्न करती हैं और अलग-अलग स्तरों पर भ्रष्टाचार की मौजूदगी लोगों के विश्वास को कमजोर करता है।
  • संसाधनों की कमी: सभी देशों की तकनीकी क्षमता समान नहीं होने की वजह से सूचना साझा करने में समस्या उत्पन्न होती है। इससे संयुक्त अभियानों में सभी एजेंसियों की भागीदारी नहीं हो पाती है।
  • राजनीतिक उदासीनता: देशों के बीच राजनीतिक तनाव और परस्पर विरोधी राष्ट्रीय हित भी जांच में व्यापक सहयोग में बाधा डालते हैं।

निष्कर्ष

वैसे तो देशों के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद, अलग-अलग कानून और डेटा की गोपनीयता संबंधी चिंताएं पहले से बनी हुई हैं, फिर भी राष्ट्रों के बीच निरंतर सहयोग, तकनीकी प्रगति और कूटनीतिक प्रयास से विश्व के पुलिस संगठनों के बीच तालमेल प्रयासों को बेहतर बनाया जा सकता है। चूंकि तेजी से परस्पर जुड़ती दुनिया में आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, ऐसे में सुरक्षित और अधिक न्यायपूर्ण वैश्विक समाज सुनिश्चित करने के लिए  विश्व की पुलिस एजेंसियों के बीच सहयोग आवश्यक है।

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