भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने देश की तटीय सुरक्षा से संबद्ध चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी परिचालन संबंधी क्षमताओं, रणनीतिक पहलों और तैयारियों का विस्तार से विवरण प्रस्तुत किया है।
तटीय सुरक्षा से संबंधित चिंताएँ
- आतंकवादियों की समुद्री मार्ग से घुसपैठ: संभावित समुद्र-आधारित आतंकवादी हमले को रोकना। उदाहरण के लिए, 2008 मुंबई हमले।
- समुद्री मार्ग से होने वाली तस्करी से जुड़े जोखिम: स्वर्ण, विलासिता की वस्तुओं और नशीली दवाओं की तस्करी एवं अवैध व्यापार के लिए समुद्री मार्गों का उपयोग किया जाता है।
- औद्योगिक एवं रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण अवसंरचनाओं की सुभेद्य अवस्थिति: तटरेखा के साथ लगे हुए कई विशेष आर्थिक क्षेत्र; महत्वपूर्ण तेल और गैस अवसंरचनाओं (रिफाइनरियां, अपतटीय प्लेटफ़ॉर्म आदि) की मौजूदगी; देश के 90% समुद्री व्यापार को संभालने वाले 13 महापत्तन आदि।
- रणनीतिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचने का खतरा: नौसेना कमांड (विशाखापत्तनम, मुंबई, कोच्चि और पोर्ट ब्लेयर); तारापुर, कुडनकुलम व कलपक्कम में परमाणु ऊर्जा संयंत्र आदि।
- अन्य चुनौतियां: अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियों के बीच आपस में बेहतर समन्वय का अभाव, अवैध मत्स्यन, समुद्री प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सुभेद्यता।
तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदम
- संगठनात्मक पहलें:
- समुद्री और तटीय सुरक्षा को मजबूत करने हेतु राष्ट्रीय समिति (NCSMCS): यह समुद्री एवं तटीय सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक राष्ट्रीय मंच है।
- बेहतर निगरानी के लिए राष्ट्रीय कमांड नियंत्रण संचार और आसूचना।
- मरीन डोमेन अवेयरनेस (MDA): रडार, सेंसर, ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) आदि के साथ तटीय निगरानी नेटवर्क (AIS) के माध्यम से MDA का विस्तार किया गया है।
- प्रक्रियात्मक पहलें: क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा व विकास (SAGAR) पहल, सी विजिल अभ्यास, तटीय सुरक्षा योजना आदि।
भारतीय तटरक्षक बल (मुख्यालय: दिल्ली) के बारे में
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