वीर नारायण सिंह (1795 – 1857)

प्रधान मंत्री ने छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया।
शहीद वीर नारायण सिंह के बारे में
- ये छत्तीसगढ़ के सोनाखान के एक जनजातीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका जन्म 1795 में बिंझवार जनजाति के जमींदार रामसाई के घर हुआ था।
- इनके पिता ने भी 1818–19 में ब्रिटिश और भोसले शासकों के खिलाफ विद्रोह किया था।
- मुख्य योगदान
- इन्हें छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
- इन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी, लेकिन इन्हें पकड़ लिया गया था और 10 दिसंबर 1857 को फांसी दे दी गई थी।
- 1856 के अकाल के दौरान इन्होंने एक व्यापारी द्वारा जमा किए गए अनाज को गरीबों में बाँट दिया था, ताकि भूखे लोगों की मदद की जा सके।
- मूल्य: ये एक दयालु, न्यायप्रिय और जनता के प्रति समर्पित नेता थे, जिन्हें उनकी ईमानदारी और सेवा भाव के लिए बहुत सम्मान दिया जाता था।