इसरो ने भारतीय नौसेना के लिए भारत का सबसे भारी संचार सैटेलाइट लॉन्च किया | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

इसरो ने भारतीय नौसेना के लिए भारत का सबसे भारी संचार सैटेलाइट लॉन्च किया

Posted 03 Nov 2025

1 min read

Article Summary

Article Summary

LVM3 द्वारा GSAT-7R का सफल प्रक्षेपण भारत की नौसैनिक संचार, समुद्री जागरूकता और सामरिक क्षमताओं को बढ़ाता है, जो रक्षा-अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO/ इसरो) ने LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) रॉकेट से GSAT-7R (CMS-03) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इसका प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से किया गया है।

  • LVM3 भारत का सबसे भारी परिचालन वाला रॉकेट है। इस रॉकेट का उपयोग भारी संचार सैटेलाइट्स और डीप स्पेस मिशनों के प्रक्षेपण के लिए किया जाता है। 
    • LVM3 तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है:
      • ठोस चरण: पहले चरण में ठोस ईंधन वाले दो स्ट्रैप-ऑन बूस्टर होते हैं।
      • तरल चरण: दूसरा चरण तरल प्रणोदक से संचालित होता है।
      • क्रायोजेनिक चरण: तीसरे चरण में स्वदेशी उच्च-थ्रस्ट वाले CE-20 क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया गया है। यह क्रायोजेनिक ईंधन से संचालित होता है। 

GSAT-7R सैटेलाइट की प्रमुख विशेषताएं

  • यह भारत की एडवांस्ड रक्षा संचार सैटेलाइट सीरीज GSAT-7 का हिस्सा है।
  • भार: लगभग 4,400 किलोग्राम
  • कक्षा (ऑर्बिट): इसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में प्रक्षेपित किया गया है। वहां से यह अंततः जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में पहुंच जाएगा, जो पृथ्वी से 35,786 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है।  
  • कवरेज: यह सैटेलाइट हिंद महासागर क्षेत्र और भारतीय भूभाग में मल्टी-बैंड की दूरसंचार सेवाएं प्रदान करेगा।
  • उद्देश्य: यह अंतरिक्ष के जरिए संचार और समुद्री क्षेत्र में निगरानी में मदद करेगा। साथ ही, यह नौसेना के जहाजों, सबमरीन, विमानों और समुद्री संचालन केंद्रों के बीच सुरक्षित संपर्क को भी मजबूत करेगा।  

महत्त्व

  • अधिक वजनी सैटेलाइट का प्रक्षेपण करने वाले रॉकेट का स्वदेश में विकास वास्तव में ‘आत्मनिर्भरता’ संबंधी भारत के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
  • यह सैटेलाइट भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं का बढ़ाएगा और ब्लू वॉटर संचार का विस्तार करेगा।
  • सटीक युद्ध-क्षमता में मदद: नेविगेशन सैटेलाइट्स मिसाइलों की सटीकता और सही निशाना लगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। 

GSAT-7 सीरीज के अन्य सैन्य-सैटेलाइट्स

  • नौसेना के लिए:
    • GSAT-7 (रुक्मिणी): यह 2013 से संचालन में है। यह समुद्री क्षेत्रक में संचार और निगरानी में मदद करता है।
  • वायु सेना के लिए:
    • GSAT-7A (एंग्री बर्ड): इसे 2018 में प्रक्षेपित किया गया था। यह नेटवर्क-केंद्रित संचालन और डेटा लिंक कनेक्टिविटी को मजबूत करता है।
    • GSAT-7C: इसका अभी विकास किया जा रहा है। इसमें रियल टाइम और सुरक्षित संचार के लिए ग्राउंड हब भी शामिल होंगे।
  • थल सेना के लिए:
    • GSAT-7B: यह भी विकास के चरण में है। यह सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी और संचार क्षमताओं को मजबूत करेगा।
  • Tags :
  • LVM3
  • GSAT-7R (CMS-03)
Watch News Today
Subscribe for Premium Features

Quick Start

Use our Quick Start guide to learn about everything this platform can do for you.
Get Started