भगदड़ या दबाव से कुचलने की घटना तब होती है, जब वास्तविक या अनुमानित खतरे या जगह की कमी के कारण अचानक भीड़ में उपस्थित लोग भागने लगते हैं।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने भगदड़ की घटना को मानवजनित आपदा की श्रेणी में रखा है।
- हालिया वर्षों में भारत में भगदड़ घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जैसे —
- बेंगलुरु: RCB की IPL जीत के जश्न के दौरान;
- नई दिल्ली रेलवे स्टेशन: कुंभ मेले के लिए उमड़ी भीड़;
- प्रयागराज: कुंभ मेले के दौरान भगदड़ की घटना आदि।
भारत में भगदड़ की घटनाएं बार-बार क्यों होती हैं?
- जवाबदेही और नियमों के पालन की कमी: कई बार आयोजन स्थलों पर उस जगह की क्षमता से ज़्यादा लोगों को अंदर आने दिया जाता है। कमजोर अवसंरचना (जैसे बैरिकेड्स की कमी) और प्रशासनिक लापरवाही के कारण सुरक्षा नियमों का सही से पालन नहीं होता।
- खराब नियोजन और समन्वय की कमी: स्थानीय प्रशासन, पुलिस और कार्यक्रम आयोजकों के बीच उचित सहयोग एवं समन्वय न होने से अव्यवस्था की स्थिति बनती है।
- तकनीक का सीमित उपयोग: रीयल-टाइम निगरानी, भीड़ का घनत्व मापने वाले सिस्टम जैसी तकनीकों का बहुत कम उपयोग होता है।
- अन्य कारण:
- बढ़ती समृद्धि के साथ तीर्थयात्राओं में वृद्धि;
- घनी आबादी और भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्र;
- घबराहट और अफवाहों से अचानक भगदड़;
- कम प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मी;
- राहत और बचाव कार्यों में देरी आदि।
आगे की राह
- रीयल-टाइम निगरानी: NDMA के दिशा-निर्देशों के अनुसार CCTV, ड्रोन और डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके भीड़ की गतिविधियों पर नजर रखी जानी चाहिए। साथ ही, किसी भी खतरे की स्थिति में तुरंत अधिकारियों को सतर्क किया जाना चाहिए।
- प्रवेश पर नियंत्रण: बड़े आयोजनों में ऑनलाइन पंजीकरण और पास सिस्टम के माध्यम से लोगों की संख्या सीमित रखी जानी चाहिए, ताकि भीड़ का बेहतर प्रबंधन हो सके।
- जवाबदेही सुनिश्चित करना: सुरक्षा नियमों का पालन न करने या भीड़ प्रबंधन में लापरवाही के लिए आयोजकों और प्रशासन दोनों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
- अवसंरचना में सुधार: चौड़े रास्तों, स्पष्ट निकास द्वारों और बेहतर सुरक्षा सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए, ताकि आपात स्थिति में लोग सुरक्षित रूप से बाहर निकल सकें।
भीड़ प्रबंधन पर NDMA के दिशा-निर्देश
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