चीन का थोरियम मॉल्टन साल्ट रिएक्टर (TMSR) वर्तमान में विश्व का एकमात्र संचालित मॉल्टन साल्ट रिएक्टर है।
- थोरियम के यूरेनियम में रूपांतरण की यह उपलब्धि TMSR के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।
थोरियम मॉल्टन साल्ट रिएक्टर (TMSR) के बारे में
- यह चौथी पीढ़ी की उन्नत परमाणु ऊर्जा प्रणाली है। इसमें उच्च तापमान वाले मॉल्टन साल्ट यानी पिघले हुए नमक को शीतलक (कूलेंट) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- मुख्य विशेषताएं:
- इसे जल के बिना ठंडा किया जा सकता है,
- यह वायुमंडलीय दाब पर संचालित होता है,
- यह उच्च तापमान पर ऊर्जा उत्पन्न करता है
- मुख्य लाभ:
- पैसिव सुरक्षा प्रणाली: यदि रिएक्टर बहुत गर्म हो जाए, तो साल्ट का प्लग पिघल जाता है और अभिक्रिया अपने आप रुक जाती है।
- उच्च रेडियोएक्टिव स्तर वाले अपशिष्ट का कम उत्सर्जन: थोरियम से उत्पन्न ईंधन, प्लूटोनियम आधारित ईंधनों की तुलना में बहुत कम दीर्घ-सक्रिय एक्टिनाइड्स (रेडियोएक्टिव धात्विक तत्व) उत्पन्न करता है।
- अन्य लाभ: ईंधन में अधिक ऊर्जा उत्पादन की क्षमता होती है, आदि।
थोरियम ईंधन के बारे में
- थोरियम को परमाणु रिएक्टर में उपयोग करने से पहले यूरेनियम-233 में परिवर्तित करना पड़ता है।
- थोरियम-232, थोरियम का एकमात्र प्राकृतिक समस्थानिक (Isotope) है।
- थोरियम, यूरेनियम की तुलना में प्रकृति में लगभग तीन गुना अधिक पाया जाता है।
- हालांकि, थोरियम बहुतायत में उपलब्ध है, लेकिन इसे प्राप्त करने की लागत अधिक होने के कारण इसका उपयोग सीमित है।
- भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तीसरे चरण में थोरियम से बड़े पैमाने पर विद्युत उत्पादन की परिकल्पना की गई है।
- एडवांस्ड हैवी वॉटर रिएक्टर (AHWR) भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस रिएक्टर में थोरियम ईंधन चक्र की प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जाएगा।
- भारत, ‘इंडियन मॉल्टन साल्ट ब्रीडर रिएक्टर (IMSBR)’ का भी विकास कर रहा है।
भारत में थोरियम के भंडार
- भारत के पास विश्व में सबसे अधिक थोरियम भंडार है।
- केरल और ओडिशा में मोनाजाइट रेत में प्रचुर मात्रा में थोरियम पाया जाता है। इसमें लगभग 8–10% थोरियम प्राप्त होता है।
- यह आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी पाया जाता है।