प्रधान मंत्री ने मैकाले की विरासत में निहित औपनिवेशिक मानसिकता को समाप्त करने के लिए 10-वर्षीय राष्ट्रीय प्रतिज्ञा का आग्रह किया | Current Affairs | Vision IAS
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प्रधानमंत्री ने स्वदेशी भाषाओं को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक जड़ों को पुनर्जीवित करने, औपनिवेशिक कानूनों में सुधार करने और मैकाले की विरासत से उबरने के लिए आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर भारत को उपनिवेश मुक्त करने के लिए 10 साल की राष्ट्रीय प्रतिज्ञा का आग्रह किया।

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प्रधान मंत्री ने इस तथ्य को उजागर किया कि औपनिवेशिक मानसिकता तब गहन होने लगी, जब 1835 ई. में ब्रिटिश सांसद थॉमस बैबिंगटन मैकाले ने भारत के सांस्कृतिक आधार को खत्म करने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया।

  • 1835 ई. में शिक्षा पर मैकाले मिनट जारी किया गया था। इस मिनट में भारत में संस्कृत, हिंदी, अरबी आदि प्राच्य भाषाओं में शिक्षा को निरर्थक घोषित करते हुए अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा देने पर बल दिया गया था।
  • ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के संदर्भ में, महात्मा गांधी ने टिप्पणी की थी कि “भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे उखाड़कर नष्ट कर दिया गया।”

भारत में औपनिवेशिक मानसिकता: मुख्य तत्व

  • भाषा: अदालतों और विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी भाषा का उपयोग आकांक्षी माना जाता है। इससे कभी-कभी गैर-अंग्रेजी भाषी लोगों के लिए पहुंच में बाधा उत्पन्न होती है।
  • संस्कृति: औपनिवेशिक शासन ने पश्चिमी सांस्कृतिक तत्वों को थोपा है, जिसमें पश्चिमी वेशभूषा, भोजन, कला के रूप, तौर-तरीके और मूल्य शामिल हैं। ये तत्व भारतीय ज्ञान प्रणालियों को हीन बताते हैं। 
  • कानून और संस्थाएं: IPC (भारतीय दंड संहिता), वन कानून, राजद्रोह जैसे कई औपनिवेशिक कानून और आपराधिक प्रक्रियाएं सेवा की बजाय नियंत्रण स्थापित करने पर केंद्रित हैं। 
  • आर्थिक प्रणाली: आयातित आर्थिक मॉडल्स और निजी पूंजी पर जोर देने से बड़ी संख्या में आबादी की निर्धनता में वृद्धि हुई है।
  • ज्ञान प्रणालियां: अनुसंधान और नवाचार के आयातित मॉडल्स पर अधिक जोर देने के कारण देशज ज्ञान प्रणालियां भुला दी गई हैं।

संज्ञानात्मक विऔपनिवेशीकरण (Cognitive Decolonisation): आगे की राह

  • नीतिगत उपाय: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना, देशज ज्ञान प्रणालियों को पुनर्जीवित करना और औपनिवेशिक युग के कानूनों में सुधार करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: औपनिवेशिक शासन के प्रतीक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना, जो अधिकार की बजाय कर्तव्य पर जोर देता है।
  • सांस्कृतिक पुनरुद्धार: स्वदेशी त्योहारों और शिल्पों का पुनरोत्थान गर्व में वृद्धि करता है।
    • उदाहरण के लिए: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस।
    • उदाहरण के लिए: नए संसद भवन में सेंगोल भारत की लोकतांत्रिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है।
  • व्यवहारिक परिवर्तन: आत्मनिर्भर भारत पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो नवाचार, स्थानीय शासन और सार्वजनिक जीवन में भारतीय विचारों को अपनाने पर बल देता है।
    • उदाहरण के लिए: मिशन LIFE (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट यानी पर्यावरण के लिए जीवनशैली)।
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