भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की स्थापना 26 दिसंबर, 1925 को कानपुर में हुई थी। यह भारतीय भूमि पर एक अखिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गठन की दिशा में पहला संगठित प्रयास था।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के बारे में
- इतिहास: 1920 में एम.एन. रॉय, मोहम्मद अली, एम.पी.टी. आचार्य और मोहम्मद शफीक जैसे सात भारतीय क्रांतिकारियों के एक समूह ने ताशकंद में बैठक कर निर्वासन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की।
- दिसंबर 1925 में कानपुर में आयोजित एक कम्युनिस्ट सम्मेलन में CPI की औपचारिक स्थापना हुई। इस सम्मेलन में संपूर्ण ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत में सक्रिय विभिन्न कम्युनिस्ट संगठन एकजुट हुए थे।
- सदस्य
- प्रथम अध्यक्ष: सिंगारवेलु चेट्टियार
- प्रथम महासचिव: एस.वी. घाटे और जे.पी. बगरहट्टा
- अन्य प्रमुख नेता: ईवलिन ट्रेंट-रॉय, अबनी मुखर्जी, रोजा फिटिंगोव, ए.के. गोपालन, एस.ए. डांगे, ई.एम.एस. नंबूदिरीपाद, पी.सी. जोशी, अजय घोष, पी. सुंदरैया आदि।
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में CPI की भूमिका
- जन-आंदोलन में: CPI ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) तथा महिला संगठनों के माध्यम से कामगारों, किसानों, विद्यार्थियों और महिलाओं को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा।
- सामाजिक सुधार में: CPI ने दलितों के अधिकारों और हिंदू–मुस्लिम एकता के पक्ष में तथा जातिगत भेदभाव और सांप्रदायिकता के विरुद्ध अभियानों का समर्थन किया।
- केरल में CPI के ए.के. गोपालन और पी. कृष्ण पिल्लई जैसे नेताओं ने गुरुवायूर सत्याग्रह का नेतृत्व किया। इस सत्याग्रह का उद्देश्य दलितों को मंदिर में प्रवेश दिलाना था।
- पूर्ण स्वराज की मांग: CPI ने सबसे पहले 1921 और 1922 के कांग्रेस अधिवेशनों में अपने घोषणापत्रों के माध्यम से पूर्ण स्वराज की मांग रखी। इस मांग को 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में स्वीकार किया गया।
- संविधान निर्माण में भूमिका: एम.एन. रॉय ने 1934 में एक संविधान का प्रस्ताव रखा। साथ ही, CPI ने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान सभा की स्थापना की पुरजोर वकालत की।