बिरसा (BIRSA)-101 नामक यह जीन थेरेपी भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर रखी गई है। ध्यातव्य है कि भगवान बिरसा मुंडा भारत के महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे।
- इस जीन थेरेपी का विकास CSIR–जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (IGIB) ने किया है।
जीन थेरेपी के बारे में
- जीन थेरेपी एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसमें किसी बीमारी या चिकित्सीय विकार के इलाज, रोकथाम या उपचार के लिए जीन का इस्तेमाल किया जाता है।
- कार्यप्रणाली: टूटे हुए जीन की नई प्रति जोड़ना, या मरीज की कोशिकाओं के किसी दोषपूर्ण/लुप्त जीन को एक स्वस्थ जीन से बदलना।
CRISPR के बारे में
- CRISPR से आशय है-क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स।
- यह एक प्रकार का जीनोम-एडिटिंग उपकरण है। यह वैज्ञानिकों को डीएनए अनुक्रम को बिल्कुल सटीक तरीके से काटने और संशोधित करने में सक्षम बनाता है।
- इसमें निम्नलिखित दो अणु मुख्य भूमिका निभाते हैं:
- मार्गदशक (Guide) RNA: यह लक्षित जीनोम के विशेष हिस्सों का पता करने और उनसे जुड़ने के लिए तैयार किया गया है।
- Cas9 (क्रिस्पर-एसोसिएटेड प्रोटीन 9): यह आण्विक कैंची की तरह कार्य करते हुए डीएनए के दो रज्जुकों को काट सकता है।
सिकल-सेल बीमारी (SCD) के बारे में
- SCD एक प्रकार का अनुवांशिक विकार है और हीमोग्लोबिन पर प्रभाव डालता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने वाला अणु है।
- इस बीमारी की वजह से लाल रक्त कोशिकाएं सख्त और दरांती के आकार की हो जाती हैं। इससे रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है।
- विशेष रूप से भारत की आदिवासी आबादी में इस बीमारी का अधिक प्रसार देखा गया है।
- आदिवासी समुदाय में प्रत्येक 86 जन्मे बच्चों में 1 सिकल-सेल बीमारी से ग्रसित होता है।
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