यह पहली बार है, जब गैस-जनरेटर साइकिल पर कार्य करने वाले क्रायोजेनिक इंजन को बूट-स्ट्रैप मोड में चालू किया गया। इसे चालू करने के लिए किसी अन्य प्रणाली की सहायता नहीं ली गई। इससे भविष्य की LVM3 उड़ानों में इंजन को एक बार बंद होने के बाद अधिक आसानी से और विश्वसनीय ढंग से फिर से चालू किया जा सकेगा। साथ ही, इससे मिशन के लचीलेपन में भी वृद्धि होगी।
- वर्तमान में, इंजन को चालू करने के लिए अतिरिक्त स्टार्ट-अप गैस बोतल और उससे संबंधित प्रणालियों की आवश्यकता होती थी। इससे प्रक्षेपण वाहन की पेलोड क्षमता में कमी आती थी।
क्रायोजेनिक इंजन के बारे में

- अर्थ: अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों का अंतिम चरण जो क्रायोजेनिक्स का उपयोग करता है।
- क्रायोजेनिक्स: यह अत्यंत निम्न तापमान (-150 डिग्री सेल्सियस से नीचे) पर पदार्थों के उत्पादन और व्यवहार का अध्ययन है।
- प्रयुक्त प्रणोदक (Propellants): तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन।
- महत्त्व: यह बहुत दक्ष होता है और दहन किए गए प्रत्येक किलोग्राम प्रणोदक पर अधिक थ्रस्ट प्रदान करता है।
- द्रव और ठोस चरणों में उपयोग किए जाने वाले तथा पृथ्वी पर भंडारित किए जा सकने वाले तरल एवं ठोस प्रणोदक कम सक्षम होते हैं। साथ ही, उनसे कम पेलोड लाभ भी मिलता है।
- CE20: यह भारत का सबसे बड़ा क्रायोजेनिक इंजन है। इसे द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, वलियामाला (केरल) ने विकसित किया है।
- CE20 क्रायोजेनिक इंजन को गगनयान मिशनों के लिए योग्य (qualified) घोषित किया गया है। यह इंजन LVM3 के ऊपरी चरण को शक्ति प्रदान करता है।
LVM3 के बारे में
- LVM3 (प्रक्षेपण यान मार्क-3): यह इसरो का नया बहुत अधिक भार वहन करने में सक्षम प्रक्षेपण वाहन है। यह भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit: GTO) में 4000 किलोग्राम तक के अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित कर सकता है।
- यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। ये तीन चरण हैं:
- दो ठोस प्रणोदक S200 स्ट्रैप-ऑन्स।
- तरल L110 चरण:
- यह इसरो द्वारा प्राप्त सबसे बड़ा तरल चरण है।
- यह GSLV-Mk III का कोर चरण है, जो उच्च थ्रस्ट वाले दो विकास इंजनों का उपयोग करता है।
- हाल ही में, गोदरेज एंटरप्राइजेज ने गगनयान परियोजना के लिए पहला ह्यूमन-रेटेड L110 चरण विकास इंजन की इसरो को आपूर्ति की।
- C25 क्रायोजेनिक चरण: यह CE-20 इंजनों द्वारा संचालित होता है।