विद्युत मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 का मसौदा जारी किया | Current Affairs | Vision IAS
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    विद्युत मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 का मसौदा जारी किया

    Posted 24 Nov 2025

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    Article Summary

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    इस विधेयक का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर, टैरिफ को युक्तिसंगत बनाकर, नियामक को मजबूत बनाकर तथा दीर्घकालिक अकुशलताओं को दूर करके भारत के विद्युत क्षेत्र का आधुनिकीकरण करना है।

    यह विधेयक भारत के विद्युत क्षेत्रक के आधुनिकीकरण के लिए महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत करता है। जैसे-

    • यह विद्युत वितरण में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है; 
    • विनियामक निरीक्षण को मजबूत करता है;
    • निष्पक्ष मूल्य निर्धारण तंत्रों का समर्थन करता है आदि।

    विधेयक की मुख्य विशेषताएं:

    संरचनात्मक सुधार:

    • विद्युत वितरण में विनियमित प्रतिस्पर्धा को सुविधाजनक बनाना। इससे विभिन्न लाइसेंसधारियों को साझा और अनुकूलित अवसंरचना का उपयोग करते हुए एक ही क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति मिल सकेगी। 
    • सभी लाइसेंसधारियों के लिए सार्वभौमिक सेवा दायित्व (USO) को अनिवार्य करना। इससे सभी उपभोक्ताओं को गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच और आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। 
      • यह राज्य विद्युत विनियामक आयोगों (SERCs) को मुक्त पहुंच (Open Access) के लिए पात्र बड़े उपभोक्ताओं (>1 MW) हेतु वितरण लाइसेंसधारियों को USO से मुक्त करने में भी सक्षम बनाता है। हालांकि, इसके लिए SERCs को पहले संबंधित राज्य सरकारों के साथ परामर्श करना होगा। 
    • टैरिफ और क्रॉस-सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना
      • यह लागत-प्रतिबिंबित टैरिफ को बढ़ावा देता है। साथ ही, पारदर्शी बजटीय सब्सिडी के माध्यम से सब्सिडी वाले उपभोक्ताओं (जैसे- किसान, गरीब परिवार आदि) की सुरक्षा करता है।
        • लागत-प्रतिबिंबित टैरिफ: इसका अर्थ एक ऐसी विद्युत मूल्य निर्धारण प्रणाली से है, जहां उपभोक्ता द्वारा भुगतान की जाने वाली दर (टैरिफ) उस विशेष उपभोक्ता श्रेणी को विद्युत की आपूर्ति की वास्तविक लागत को सटीक रूप से दर्शाने के लिए निर्धारित की जाती है।
      • यह विनिर्माण उद्योग, रेलवे और मेट्रो रेलवे के लिए पांच वर्षों के भीतर क्रॉस-सब्सिडी को समाप्त करने का प्रयास करता है।
    • शासनात्मक और विनियामक मजबूती
      • केंद्र व राज्यों के बीच नीतिगत समन्वय और आम सहमति बनाने के लिए एक विद्युत परिषद की स्थापना का प्रावधान करता है।
      • SERCs को मानकों को लागू करने; गैर-अनुपालन पर दंड लगाने और यदि आवेदन में देरी होती है, तो स्वत: संज्ञान (suo moto) लेकर टैरिफ निर्धारित करने का अधिकार भी प्रदान करता है।
    • संधारणीयता और बाजार विकास
      • गैर-जीवाश्म ऊर्जा खरीद के दायित्वों को मजबूत करता है, गैर-अनुपालन के लिए दंड का प्रावधान करता है आदि।
      • नए उपकरणों और व्यापारिक प्लेटफॉर्म्स सहित विद्युत बाजार के विकास को बढ़ावा देता है।

    यह विधेयक विद्युत क्षेत्रक में लगातार बनी हुई निम्नलिखित प्रमुख समस्याओं को हल करने का प्रयास करता है:

    • विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स/ Discoms) को लगातार वित्तीय नुकसान: यह खराब बिलिंग दक्षता तथा उच्च समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) हानियों के कारण होता है।
    • विद्युत आपूर्ति में प्रतिस्पर्धा की कमी: उपभोक्ता एक ही डिस्कॉम से बंधे होते हैं, जिससे सेवा की गुणवत्ता और नवाचार सीमित हो जाता है।
    • क्रॉस-सब्सिडी की विकृतियां: अन्य श्रेणियों को सब्सिडी देने के लिए औद्योगिक उपयोगकर्ता पर अधिक टैरिफ आरोपित किया जाता है। इससे भारतीय विनिर्माण की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाती है।

     

    • Tags :
    • Ministry of Power
    • Electricity (Amendment) Bill, 2025
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