इस रोडमैप को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने तैयार किया है। यह रोडमैप कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (CCUS) में तीन चरणों वाला अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम प्रदान करता है।
तीन चरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- पहला चरण: उत्सर्जन करने वाले मौजूदा उद्योगों में एंड-ऑफ-पाइप (EP) समाधान के रूप में वर्तमान अत्याधुनिक CCUS प्रौद्योगिकियों या उनके बेहतर संस्करणों का एकीकरण किया जाएगा।
- दूसरा चरण: CCUS अनुपालन डिज़ाइन (CCD) का उपयोग करके नए औद्योगिक विनिर्माण संयंत्रों में उन्नत CCUS प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाएगा।
- तीसरा चरण: नवीन कम उत्सर्जन करने वाली औद्योगिक विनिर्माण प्रौद्योगिकियों में फोटो-बायो-इलेक्ट्रो-कैटेलिटिक रूपांतरण जैसी उभरती CCUS प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाएगा। यह एकीकरण CCUS इन वन पॉट (COP) रणनीति के रूप में किया जाएगा।
CCUS के बारे में
- ये वे प्रौद्योगिकियां हैं, जो विद्युत संयंत्रों जैसे बड़े उत्सर्जन स्रोतों से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करने, या वातावरण से मौजूदा CO2 को हटाने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। साथ ही, ये प्रौद्योगिकियां हटाई गई CO2 को समुद्री जल, गहरे समुद्र तलछट, या भूवैज्ञानिक स्थलों आदि में संग्रहीत करने में सक्षम भी बनाती हैं।

जलवायु परिवर्तन को कम करने में CCUS की भूमिका
- 'हार्ड टू एबेट' उद्योगों में उत्सर्जन को कम करना: CCUS मुख्य रूप से उन उद्योगों के लिए कारगर सिद्ध हो सकती है, जिनका विकार्बनीकरण करना कठिन (हार्ड टू एबेट) होता है। इन उद्योगों में लौह-इस्पात, रसायन आदि उद्योग शामिल हैं।
- निम्न कार्बन उत्सर्जन के साथ विद्युत और हाइड्रोजन का उत्पादन: CCUS को कोयला, गैस, बायोमास या अपशिष्ट पर संचालित होने वाले विद्युत संयंत्रों पर स्थापित किया जा सकता है।
- वातावरण से मौजूदा CO2 को हटाना: या तो कार्बन कैप्चर और स्टोरेज के साथ जैव-ऊर्जा (BECCS) या डायरेक्ट एयर कैप्चर एंड कार्बन स्टोरेज (DACCS) के माध्यम से। इन दोनों का तकनीकी आधार CCUS है।
- DACCS तकनीक वातावरण से सीधे CO2 को कैप्चर करने में सक्षम बनाती है।
- BECCS तकनीक शुद्ध आधार पर CO2 को हटाने में परिणाम उत्पन्न कर सकती है। इसमें बायोमास को संधारणीय रूप से प्राप्त किया जाता है।
कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (CCUS)
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