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    एक संसदीय समिति ने लोकपाल की जांच और अभियोजन शाखाओं के पूर्ण संचालन की मांग की

    Posted 05 Dec 2025

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    Article Summary

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    संसदीय समिति ने लोकपाल की जांच और अभियोजन शाखाओं को पूर्ण रूप से क्रियाशील करने का आग्रह किया है, जो अभी आंशिक रूप से कार्यशील हैं, ताकि 2013 अधिनियम के अनुसार भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को मजबूत किया जा सके।

    संसदीय समिति ने यह प्रकट किया है कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत वैधानिक आवश्यकताओं के बावजूद, लोकपाल की जांच एवं अभियोजन (Prosecution) शाखाएं अपर्याप्त रूप से परिचालित हैं।

    लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के बारे में

    • यह अधिनियम कुछ लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों से निपटने पर केंद्रित है। इसके लिए यह केंद्र स्तर पर लोकपाल और राज्य स्तर पर लोकायुक्त के पदों की स्थापना को अनिवार्य करता है।
    • इसमें निम्नलिखित की स्थापना के लिए भी प्रावधान किए गए हैं:
      • जांच शाखा (धारा 11): इसकी अध्यक्षता जांच निदेशक करता है। इसका कार्य लोक सेवक द्वारा किए गए कथित अपराध की प्रारंभिक जांच करना है, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दंडनीय है।
      • अभियोजन शाखा (धारा 12): इसकी अध्यक्षता अभियोजन निदेशक करता है।  इसका कार्य इस अधिनियम के तहत लोकपाल द्वारा सुनवाई की जा रही किसी भी शिकायत के संबंध में आरोपित लोक सेवकों का अभियोजन करना है।

    संसदीय समिति की रिपोर्ट

    • निष्कर्ष
      • जांच शाखा: अस्थाई रूप से प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की सेवाएं ली जा रहीं हैं, लेकिन इसका पूर्ण संचालन अधूरा है।
      • अभियोजन शाखा: अभी तक केवल बहुत कम मामले अभियोजन चरण तक पहुंचे हैं। इस प्रकार, एक पूर्ण विकसित पृथक शाखा अभी तक स्थापित नहीं की गई है।
    • सिफारिशें: समिति ने दोहराया कि दोनों शाखाओं का पूर्ण गठन छह महीनों के भीतर किया जाना चाहिए। साथ ही, उसने जांच और अभियोजन दोनों शाखाओं को परिचालित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का भी आग्रह किया।

    लोकपाल के बारे में

    • लोकपाल की संरचना: लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होते हैं। इनमें से आधे सदस्य न्यायिक सदस्य होते हैं।
      • अध्यक्ष वह व्यक्ति होता है, जो भारत का मुख्य न्यायाधीश रहा हो या है, या उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो या है।
      • न्यायिक सदस्य वह व्यक्ति होता है, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो या है, या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश रहा हो या है।
    • संरचना:लोकपाल के आधे सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों व अल्पसंख्यक वर्ग तथा महिलाओं में से होंगे।
    • कार्यकाल या पदावधि: अध्यक्ष और प्रत्येक सदस्य पांच वर्ष की अवधि के लिए या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करते हैं।
    • लोकपाल के व्यय: लोकपाल के प्रशासनिक व्यय (जिसमें सभी वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं) भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।
    • लोक सेवक के खिलाफ शिकायत निम्नलिखित द्वारा दर्ज की जा सकती है: व्यक्ति, सोसायटी, व्यक्तियों का संघ, ट्रस्ट, कंपनी, सीमित देयता भागीदारी (LLP), वैधानिक बोर्ड, निगम, वैधानिक प्राधिकरण आदि।
    • Tags :
    • Lokpal
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