उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि राज्य बार काउंसिल्स (जहां अभी चुनाव अधिसूचित होने हैं) में 30% सीटें महिला अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित रहेंगी।
- वर्तमान वर्ष के लिए, न्यायालय ने 20% सीटें महिला सदस्यों के चुनाव द्वारा और 10% सीटें सह-विकल्प (co-option) द्वारा भरी जाने का आदेश दिया।
- सह-विकल्प: यह वह प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी संगठन/ समूह/ परिषद की सदस्यता के लिए मौजूदा सदस्यों के आमंत्रण पर किसी व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है।
बार काउंसिल के बारे में
- अधिवक्ता अधिनियम, 1961 भारत की बार काउंसिल (BCI) और प्रत्येक राज्य में राज्य बार काउंसिल्स (SBCs) की स्थापना का प्रावधान करता है।
- SBCs पात्र व्यक्तियों को अपनी सूची में अधिवक्ता के रूप में नामांकित करती हैं और उनके अधिकारों, विशेषाधिकारों एवं हितों की रक्षा करती हैं। इसके विपरीत, BCI व्यावसायिक आचरण के मानक निर्धारित करती है तथा SBCs का पर्यवेक्षण करती है और नियंत्रण रखती है।
न्यायपालिका में महिलाओं की स्थिति
- वर्तमान में, 20 सदस्यीय BCI में कोई महिला सदस्य नहीं है, जबकि SBCs में, 441 प्रतिनिधियों में से केवल 9 महिलाएं हैं।
- स्वतंत्रता के बाद से उच्चतर न्यायपालिका में, उच्चतम न्यायालय में केवल 11 महिला न्यायाधीश रही हैं, जबकि उच्च न्यायालयों में केवल 13.4% न्यायाधीश महिलाएं हैं।
- न्यायपालिका की स्थिति रिपोर्ट (2023) में रेखांकित किया गया है कि जिला न्यायपालिका में 36.3% महिलाएं हैं।
न्यायपालिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में बाधाएं:
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