टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स भारत में राफेल का उत्पादन
भारत फ्रांस के बाहर राफेल लड़ाकू विमान का ढांचा बनाने वाला पहला देश बनने जा रहा है। यह देश की रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
प्रमुख भागीदारी और उत्पादन सुविधा
- फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के बीच साझेदारी स्थापित की गई है।
- टीएएसएल हैदराबाद में अत्याधुनिक उत्पादन सुविधा स्थापित करेगी।
- यह सुविधा राफेल के प्रमुख संरचनात्मक खंडों का निर्माण करेगी, जिसमें पार्श्व शैल, पूर्ण पिछला भाग, केंद्रीय धड़ और अगला भाग शामिल हैं।
- वित्तीय वर्ष 2027-28 में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है, जिसमें प्रति माह दो फ्यूज़लेज तक की आपूर्ति की क्षमता होगी।
- यह सुविधा भारतीय और वैश्विक दोनों बाजारों की जरूरतों को पूरा करेगी।
राफेल की भारतीय और वैश्विक तैनाती
- भारतीय वायु सेना 36 राफेल विमानों का संचालन करती है, तथा भारतीय नौसेना 2030 तक 26 राफेल समुद्री जेट विमानों को शामिल करेगी।
- राफेल 4.5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसका उपयोग मिस्र, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, ग्रीस, इंडोनेशिया, क्रोएशिया और सर्बिया जैसे देशों द्वारा किया जाता है।
उत्पादन हस्तांतरण समझौतों का महत्व
- डसॉल्ट एविएशन और टीएएसएल ने भारत में राफेल विमान के ढांचे के निर्माण के लिए चार उत्पादन हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
- यह भारत के एयरोस्पेस बुनियादी ढांचे में एक बड़ा निवेश है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करता है।
- यह परियोजना भारत की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों के अनुरूप है।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल)
- टीएएसएल रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में एक प्रमुख निजी क्षेत्र की कंपनी है, जिसके पास एयरोस्ट्रक्चर, एयरो-इंजन, एयरबोर्न प्लेटफॉर्म, रक्षा और भूमि गतिशीलता क्षेत्र में परियोजनाएं हैं।
- इसकी अग्रणी वैश्विक एयरोस्पेस और रक्षा फर्मों के साथ साझेदारियां हैं, जिनमें भारतीय वायु सेना के लिए एयरबस सी295 सामरिक एयरलिफ्ट विमान की अंतिम असेंबली लाइन भी शामिल है।
यह पहल वैश्विक एयरोस्पेस आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भारत की स्थिति में महत्वपूर्ण योगदान देती है तथा इसके आर्थिक आत्मनिर्भरता लक्ष्यों का समर्थन करती है।