परिचय
वैश्विक चुनौतियों, खासकर जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता होती है। इन परिवर्तनों में उपभोक्तावादी जीवनशैली से लेकर सचेत उपभोग वाली सरल जीवनशैली को अपनाना शामिल है। हालांकि, बदलाव की यह प्रक्रिया लंबी और जटिल है क्योंकि इनमें से कई कार्य हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में बदलाव लाने के लिए लोगों को हर कार्य करने से पहले सोचना होगा, अपनी मौजूदा आदतों में बदलाव करना होगा तथा सचेत रूप से नई आदतों को अपनाना होगा। साथ ही, भौतिक इच्छाओं को कम करने के लिए मानसिकता के स्तर पर भी बदलाव करना होगा, जिन्हें हमने वर्षों से अपने दिमाग में पाल रखा है।
व्यक्तिगत व्यवहार को बदलने के लिए, नीति निर्माता व्यवहार विज्ञान सिद्धांतों का सहारा ले सकते हैं। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे लोग उपलब्ध जानकारी का उपयोग करके अपना विकल्प चुनते हैं। ऐसा ही एक व्यवहार विज्ञान सिद्धांत है- “नज थ्योरी” (Nudge theory)।
1. नजिंग क्या है और नज के रूप में क्या शामिल किया जाता है?
नज थ्योरी व्यवहार अर्थशास्त्र की एक अवधारणा है, जिसे नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड थेलर और विधिवेत्ता कैस सनस्टीन ने प्रस्तुत किया है।
- परिभाषा: नज वास्तव में एक प्रकार का बाह्य हस्तक्षेप है जो व्यक्तियों की ‘अपनी पसंद का चुनाव करने की आजादी’ को प्रभावित किए बिना उन्हें एक खास दिशा में उन्मुख होने के लिए प्रेरित करता है।
- लोगों की पसंद को दिशा देना (चॉइस आर्किटेक्चर): नज थ्योरी निर्णय लेने के संबंध में कुछ बदलाव लाता है ताकि लोग अपनी पसंद का चुनाव करने की आजादी को सीमित किए बिना कुछ निश्चित विकल्पों को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें। निर्णय लेने की प्रक्रिया की इस संरचना को चॉइस आर्किटेक्चर कहा जाता है।
- चॉइस आर्किटेक्चर का प्रमुख सिद्धांत उचित डिफ़ॉल्ट विकल्प सेट करना है। यह इस धारणा पर आधारित है कि जब लोग समय, जानकारी या ऊर्जा की कमी के कारण किसी विकल्प पर सोच-समझ कर निर्णय नहीं लेते, तो उनके डिफ़ॉल्ट रूप से दिया गया विकल्प चुनने की अधिक संभावना अधिक होती है।

2. सार्वजनिक नीति में नजिंग
सार्वजनिक नीति में नजिंग के तहत व्यवहार विज्ञान तकनीकों का उपयोग किया जाता है ताकि लोगों को ऐसे निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जा सके जो उन्हें अपनी पसंद का चुनाव करने की आजादी को बाधित किए बिना, उनके और समाज, दोनों के लिए फायदेमंद हों। यह समझकर कि लोग जानकारी का कैसे उपयोग करते हैं और निर्णय लेते हैं, नीति निर्माता इस तरह से विकल्प प्रस्तुत कर सकते हैं जिन्हें व्यक्ति अपनाने के लिए प्रेरित हो सके।

2.1. सार्वजनिक नीति में नजिंग के उपयोग क्या हैं?
- लोक स्वास्थ्य (पब्लिक हेल्थ): लोक स्वास्थ्य में नजिंग का उपयोग अत्यंत प्रभावी साबित हुआ है, क्योंकि यह कानून या नियमों के बिना स्वास्थ्यकर जीवनशैली और आदतों को प्रोत्साहित करता है।
- उदाहरण: भारत में स्वच्छ भारत मिशन (SBM) व्यवहार परिवर्तन आधारित एक प्रमुख पहल है। इस कार्यक्रम की शुरुआत के पांच वर्षों के भीतर, सभी राज्यों में लगभग सभी घरों के लिए शौचालय सुविधा उपलब्ध करा दी गई। व्यवहार अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का निम्नलिखित कार्यों के माध्यम से लाभ उठाया गया:
- खुले में शौच करने की आदत में बदलाव के लिए “बदलाव के स्थानीय अग्रदूतों यानी स्वच्छाग्रहियों” की मदद ली गई। इनकी मदद इसलिए ली गई क्योंकि लोग किसी ऐसे व्यक्ति की बात गौर से सुनते हैं और उसका अनुकरण करते हैं जिसे वे एक अच्छे इंसान के रूप में जानते हैं।
- सहभागी ग्रामीण जागरूकता ने व्यक्तियों को सामूहिक रूप से स्वच्छता की समस्या को हल करने के लिए एक समुदाय के रूप में एक साथ आने के लिए प्रेरित किया।
- खुले में शौच के प्रति शर्म की भावना जोड़कर, SBM ने लोगों की भावनाओं को जगाने की अपील की, जिससे लोग बदलाव के लिए प्रेरित हुए।
- लड़कियों और महिलाओं के लिए सशक्तीकरण की भावना पैदा करके, SBM ने साक्षरता दर में सुधार करने और परिणामस्वरूप, लड़कियों की कम उम्र में शादी को हतोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- उदाहरण: भारत में स्वच्छ भारत मिशन (SBM) व्यवहार परिवर्तन आधारित एक प्रमुख पहल है। इस कार्यक्रम की शुरुआत के पांच वर्षों के भीतर, सभी राज्यों में लगभग सभी घरों के लिए शौचालय सुविधा उपलब्ध करा दी गई। व्यवहार अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का निम्नलिखित कार्यों के माध्यम से लाभ उठाया गया:
- पर्यावरण नीति: नजिंग लोगों को संधारणीय प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके पर्यावरण-अनुकूल व्यवहार को बढ़ावा दे सकती है। इसके कुछ सफल उदाहरणों में शामिल हैं:
- जैविक खेती, सिक्किम - स्कूली पाठ्यक्रम में जैविक खेती की समझ को शामिल करने से कम उम्र से ही लोगों में संधारणीय कृषि पद्धतियों को विकसित करने में मदद मिली।
- आर्द्रभूमियों का संरक्षण, जम्मू-कश्मीर: अपने क्षेत्रीय जल स्रोतों और आर्द्रभूमियों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की गई। विभिन्न जागरूकता और सूचनात्मक अभियानों और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए स्थानीय लोगों को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- वित्तीय सुरक्षा: बचत और निवेश, विशेष रूप से सेवानिवृत्ति योजना में निवेश को प्रोत्साहित करने में नजिंग का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया है।
- उदाहरण: बैंक खाते खोलने की प्रक्रिया को सरल बनाकर, भारत की जन धन योजना ने करोड़ों लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा।
- नागरिक सहभागिता और अनुपालन: मतदान प्रतिशत और नागरिक भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार या प्राधिकार नजिंग का प्रयोग करते हैं।
- उदाहरण: मतदाताओं को चुनाव की तारीखों के बारे में याद दिलाना या स्वचालित और सरलीकृत टैक्स फॉर्म प्रस्तुत करना।
- सामाजिक पद्धतियों के सफल उदाहरण: मध्य प्रदेश के मुआला सानी गांव की महिलाएं फसल की देशी प्रजाति के बीजों के संरक्षण के लिए पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करती हैं और इसे अगली पीढ़ी को स्थानांतरित करती हैं।
- शिक्षा: बेहतर शैक्षिक प्रदर्शन के लिए प्रेरित करने वाले व्यवहार को प्रोत्साहित करके छात्रों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा में नज का उपयोग किया जाता है।
- उदाहरण: शिक्षा ऋण के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने से कॉलेज में नामांकन बढ़ सकता है।
- सर्कुलर इकोनॉमी: नजिंग पर्यावरणीय अनुकूल व्यवहारों को बढ़ावा दे सकती है, जैसे कचरे को कम करना और रीसाइक्लिंग।
- उदाहरण: काला कॉटन पहल, गुजरात- यह जल संकट वाले क्षेत्रों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के साथ काम करते हुए संधारणीय तरीके से कॉटन टेक्सटाइल के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है। इसके माध्यम से समुदायों को कीट प्रतिरोधी स्वदेशी कपास का उत्पादन बढ़ाने के दीर्घकालिक लाभों का एहसास हुआ।

3. व्यवहार परिवर्तन के विभिन्न सिद्धांत कौन से हैं जिनका उपयोग नजिंग के लिए किया जा सकता है?

- संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह: मनोवैज्ञानिकों ने 150 से अधिक संज्ञानात्मक पूर्वाग्रहों की पहचान की है। हमारे विकास ने हमारे मस्तिष्क को इस बात पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तैयार किया है कि हमारे अस्तित्व के लिए तत्काल क्या आवश्यक है, न कि उन जटिल दीर्घकालिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जो हमारे अस्तित्व को खतरे में डालती हैं।
- हम यह भी मान लेते हैं कि कोई और व्यक्ति संकट से निपटेगा (दर्शक बनकर रहना) और समूह जितना बड़ा होगा, यह पूर्वाग्रह उतना ही मजबूत होगा।
- सामाजिक दुविधा: जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बहसों में, निर्णय लेने वालों को सामाजिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है जिसमें उनके व्यक्तिगत हित आम हित के साथ टकरा सकते हैं।
- रॉबर्ट गिफ़ोर्ड का सामाजिक दुविधाओं का सामान्य मॉडल पर्यावरण-समर्थक व्यवहार में कई मनोवैज्ञानिक बाधाओं को सूचीबद्ध करता है और निर्णय लेने पर इन प्रभावों की व्याख्या करता है।
- इन बाधाओं की पहचान और मानवीय निर्णय लेने के बेहतर मॉडल का उपयोग सफल व्यवहार परिवर्तन उपायों को डिजाइन करने की कुंजी है।
- रॉबर्ट गिफ़ोर्ड का सामाजिक दुविधाओं का सामान्य मॉडल पर्यावरण-समर्थक व्यवहार में कई मनोवैज्ञानिक बाधाओं को सूचीबद्ध करता है और निर्णय लेने पर इन प्रभावों की व्याख्या करता है।
- हंगरफोर्ड और वोल्क द्वारा पर्यावरण नागरिकता मॉडल: इस मॉडल के अनुसार, व्यक्तियों में व्यवहार परिवर्तन हेतु पर्यावरण साक्षरता के अलग-अलग चरणों में लक्षित दर्शकों के स्तर को ध्यान में रखना चाहिए।
- यह मॉडल एक फ्रेमवर्क/स्केल है जिसका इस्तेमाल यह बताने के लिए किया जा सकता है कि क्या कोई नागरिक प्रवेश स्तर पर है (उसे मौजूदा समस्या का एहसास है), धारण (ओनरशिप) स्तर पर है (गहन ज्ञान रखता है और बदलाव लाने का जिम्मा स्वीकारता है), सशक्तीकरण स्तर पर है (सकारात्मक कार्रवाई करने का कौशल और इरादा रखता है) या पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार नागरिक बन गया है।
- अज़ेन का नियोजित व्यवहार का सिद्धांत: यह सिद्धांत बताता है कि किसी व्यक्ति के व्यवहार का सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक निम्नलिखित तीन संज्ञानात्मक संकेतकों के आधार पर उस व्यवहार को प्रदर्शित करने की उसकी मंशा है:
- व्यवहार के प्रति नजरिया: यह अप्रोच दर्शाती है कि कोई व्यक्ति किसी व्यवहार विशेष को कितना सकारात्मक या नकारात्मक मानता है;
- सामाजिक मानदंड: किसी व्यवहार विशेष को अपनाने के लिए कथित सामाजिक दबाव हो; और
- अनुमानित व्यवहार नियंत्रण: यह वह सीमा है जिसके बारे में व्यक्ति मानता है कि समय, धन, कौशल, क्षमता जैसे अन्य कारक अलग व्यवहार करने की उसकी क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
इस फ्रेमवर्क का व्यापक रूप से यह समझने के लिए उपयोग किया जाता है कि व्यवहार के प्रति कोई नजरिया व्यवहार संबंधी प्रवृत्तियों का अनुमान लगाने में कैसे योगदान देता है। इसे अक्सर जलवायु परिवर्तन व्यवहार अनुसंधान में ट्रांसपोर्ट और आहार जैसी आदतों पर लागू किया जाता है।
- स्टर्न का मूल्य विश्वास मानदंड सिद्धांत: यह बताता है कि लगातार प्रभाव किसी व्यक्ति के पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को नियंत्रित करती है।
- उदाहरण के लिए, रीयूजेबल मासिक धर्म उत्पादों को अधिक से अधिक अपनाने और मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनों से घर बनाने की संभावना इसलिए है क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों में पर्यावरण-अनुकूल व्यवहार करने के दायित्व की भावना मौजूद है।
- स्वास्थ्य विश्वास सिद्धांत: विश्वास किसी व्यवहार विशेष को दिशा देने में मदद करते हैं, और यह सिद्धांत बताता है कि जब कोई व्यक्ति अपने जोखिम के मूल्यांकन करने के स्तर में वृद्धि कर लेता है, तो इसकी अधिक संभावना है कि वह व्यक्ति अनुशंसित निवारक व्यवहार अपनाएगा।
- इसमें में व्यवहार विशेष के कथित लाभ और उससे जुड़ी बाधाएं मुख्य भूमिका निभाते हैं। यह मॉडल जनसांख्यिकीय, सामाजिक-मनोवैज्ञानिक और संरचनात्मक कारकों पर भी विचार करता है।
- स्वास्थ्य अनुकूल नए व्यवहार को अपनाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है।
- सोशल मार्केटिंग: 1970 के दशक में सोशल मार्केटिंग व्यवहार परिवर्तन का एक उपयोगी साधन के रूप में उभरा। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता वस्तुओं की मार्केटिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले सिद्धांतों को बाजार की सोच, नजरिया और व्यवहारों के अनुकूल करना था।
- सोशल मार्केटिंग अभियान के लिए समस्या की स्पष्ट समझ और टारगेट दर्शकों को प्रभावित करने वाली सामाजिक, जनसांख्यिकीय, सांस्कृतिक, व्यवहारिक और संरचनात्मक विशेषताओं को जानना आवश्यक होता है।
- रोजर्स रोजर का नवाचार प्रसार सिद्धांत (Diffusion of Innovation): यह इस बात पर केंद्रित है कि आईडियाज किसी संस्कृति के माध्यम से कैसे फैलते हैं।
- यह व्यवहार परिवर्तन प्रक्रिया में जनमत नेताओं/ प्रभावशाली परिवर्तन माध्यमों के महत्त्व को भी स्वीकार करता और सामाजिक पूंजी पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
- हमारी पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए, परिवर्तन सामूहिक स्तर पर होना चाहिए, और इस तरह के मॉडल इसे लागू करने वालों को उपयोगी आइडिया की पहचान करने और आवश्यक खाका तैयार करने में मदद करते हैं।
- स्वैच्छिक सादगी (Voluntary simplicity): भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वदेशी आंदोलन से प्रभावित होकर, रिचर्ड ग्रेग ने "स्वैच्छिक सादगी" का विचार प्रस्तावित किया।
- इसका अर्थ है किसी वांछित व्यवहार परिवर्तन के लिए किसी खास दिशा में हमारी ऊर्जा और इच्छाओं को उन्मुख और उनका मार्गदर्शन करना चाहिए तथा कुछ दिशाओं में आंशिक संयम बरतना चाहिए।
- ग्रेग ने इस बात पर जोर दिया कि सरल जीवन जीने से व्यक्ति प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को कम कर सकता है जो पृथ्वी पर मानव द्वारा होने वाले कुल पर्यावरणीय नुकसान को कम करने में सहायक है।

4. नजिंग की सीमाएं क्या हैं?
- सीमित दायरा: नजिंग अपेक्षाकृत छोटे पैमाने पर, व्यक्तिगत निर्णय को प्रभावित कर सकती है (उदाहरण के लिए, स्वस्थ भोजन चुनना या सेवानिवृत्ति के लिए अधिक बचत करना), लेकिन यह व्यवस्थागत असमानता जैसी जटिल और व्यापक सामाजिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती है।
- लागू करना मुश्किल: हालांकि नजिंग से अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, परन्तु इसका प्रभावी ढंग से उपयोग करना आसान काम नहीं है।
- कोई भी निर्णय लेने से पहले, कई अलग-अलग कारकों पर विचार करना चाहिए, जिसमें यह भी शामिल है कि इसका सकारात्मक प्रभाव किस हद तक हो सकता है।
- अप्रत्याशित परिणाम: इसके परिणामों का पूर्वानुमान करना हमेशा आसान नहीं होता है। यहां तक कि ऐसे मामलों में जहां किसी उपाय के व्यवहारिक प्रभाव स्पष्ट प्रतीत होते हैं, फिर भी नजिंग के प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं, यहां तक कि पूरी तरह से प्रतिकूल परिणाम ही प्राप्त हो सकते हैं।
- दुरुपयोग: कभी-कभी, नजिंग को ऐसे तरीकों से लागू किया जाता है जिससे जरूरी नहीं कि व्यक्तियों या उपभोक्ताओं को लाभ हो।
- उदाहरण के लिए, भ्रामक विज्ञापन रणनीतियां तैयार करना जो लोगों को कोई विशेष उत्पाद खरीदने के लिए उत्प्रेरित करे।
- धोखा देने की गतिविधियां: कुछ नज रणनीतियां गैर-पारदर्शी उपायों पर निर्भर करती हैं जो नागरिकों पर कुछ ऐसा दायित्व डालती है जिन्हें धोखा देने वाली गतिविधियां मानी जा सकती हैं। इस प्रकार की रणनीतियों को लोकतांत्रिक व्यवस्था में पब्लिक पॉलिसी की गैर-कानूनी रणनीतियां मानी जानी चाहिए।
- प्रसार में कठिनाई: विशाल और विविध आबादी वाले समाज में प्रभावी उपायों को लागू करना लॉजिस्टिक्स के नजरिए से जटिल और महंगा सौदा हो सकता है।
5. सफल नजिंग की कुंजी क्या है?
- पारदर्शिता: अनुभव आधारित शोध से पता चलता है कि यदि समुदाय में अन्य लोगों द्वारा प्रतिबद्धताओं का पालन करने से संबंधित उपलब्ध जानकारी में पारदर्शिता बरती जाए तो अन्य व्यक्ति भी इस तरीके की प्रतिबद्धताओं का पालन करने के लिए प्रेरित होते हैं।
- सूचना की यह पारदर्शिता सामाजिक मानदंडों और आकांक्षाओं के साथ-साथ गर्व और अपराध-बोध से संबंधित भावनाओं के निर्माण में मदद करती है।
- सकारात्मक रूपरेखा तैयार करना: शोध में यह भी पाया गया है कि जब चुनौतियों और समाधानों को सकारात्मक रूप से तैयार किया जाता है तो व्यवहार परिवर्तन की संभावना अधिक होती है।
- कार्रवाई को सुविधाजनक बनाने के लिए, हमें उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जो किसी समुदाय को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करते हैं। साथ ही, उन्हें स्थानीय समाधानों की पहचान करने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करना होगा और समाधान से होने वाले सकारात्मक प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
- टारगेट आबादी: नीति निर्माताओं को टारगेट आबादी के व्यवहार और प्रेरणाओं के साथ-साथ उन बाधाओं की गहरी समझ होनी चाहिए जो उन्हें बेहतर विकल्प चुनने से रोकते हैं।
- व्यवहार संबंधी अनुसंधान करना चाहिए और लोगों में होने वाले संज्ञानात्मक पूर्वाग्रहों की पहचान करना चाहिए- जैसे यथास्थिति में बने रहना, किसी भी प्रकार की हानि सहने की स्थिति में नहीं होना, आदि।
- सामाजिक और सांस्कृतिक भावना: नजिंग को लक्षित आबादी के विशिष्ट सामाजिक और सांस्कृतिक भावना के अनुरूप होने चाहिए। कोई उपाय जो किसी एक समाज या समुदाय में काम करता है, जरूरी नहीं कि वह दूसरे समुदाय में भी काम करे।
- उपयुक्त डिफ़ॉल्ट विकल्प: चॉइस आर्किटेक्चर के प्रमुख सिद्धांतों में से एक उपयुक्त डिफ़ॉल्ट विकल्प सेट करना है। सीमित समय और विकल्पों की बढ़ती संख्या के साथ, व्यक्तियों द्वारा उन्हें दिए गए डिफ़ॉल्ट विकल्प को चुनने की संभावना अधिक होती है, और बेहतर विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए डिफ़ॉल्ट का उपयोग किया जा सकता है।
- विकल्पों को सरल बनाने और अनावश्यक जटिलता को कम करने से लोग बेहतर विकल्प अपनाने की ओर प्रेरित हो सकते हैं।
- सोशल मार्केटिंग: इसमें सामाजिक आइडिया की स्वीकार्यता को प्रभावित करने के लिए बनाए गए कार्यक्रमों के डिजाइन, कार्यान्वयन और निगरानी शामिल हैं।
- सामाजिक मानदंडों का लाभ उठाने वाले नज व्यक्तियों को समूह मानदंड के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है। जैसे पड़ोसी द्वारा बिजली की बचत या रीसाइक्लिंग के उदाहरणों को प्रदर्शित करना।
- अवसंरचना: व्यवहार को आसानी से अपनाने के लिए सहायक अवसंरचना की सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है, चाहे वह साइकिल ट्रैक हो या पड़ोस की दुकानों में मिलेट्स की आसान उपलब्धता।
- बाधाओं को दूर करना: जब बाधाएं कम होती हैं या प्रयास कम करने होते हैं तो लोगों द्वारा वांछित व्यवहार अपनाने की संभावना अधिक होती है। वांछित विकल्प को आसान, त्वरित या अधिक सुविधाजनक बनाने से उसे अपनाने में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
- फीडबैक तंत्र: लोगों को उनके कार्यों के बारे में फीडबैक देना सकारात्मक व्यवहार अपनाने की सम्भावना को मजबूत कर सकता है। उदाहरण के लिए; स्मार्ट मीटर से रियल टाइम में ऊर्जा उपयोग के बारे में जानकारी मिलती है, इसलिए लोग ऊर्जा खपत को कम कर सकते हैं।
5.1. नैतिक रूप से नज कैसे किया जाए?
- भलाई के लिए नज: नज हमेशा व्यक्तियों और समुदायों के सर्वोत्तम हित में होनी चाहिए।
- नैतिक नजिंग लोगों को ऐसे व्यवहारों की ओर मार्गदर्शन करने पर केंद्रित है जो उनके स्वास्थ्य, भलाई और सामाजिक कल्याण में सुधार करते हैं।
- चुनने की आजादी: नजिंग को कभी भी चुनने की आजादी को खत्म या सीमित नहीं करना चाहिए।
- एक ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जहां लोग बिना किसी दबाव या नकारात्मक परिणामों के डर के अपने निर्णय लेने में सशक्त महसूस करें।
- पारदर्शिता: नज पारदर्शी होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि व्यक्तियों को पता होना चाहिए कि उन्हें नज यानी प्रेरित किया जा रहा है।
- गोपनीय रूप से बाध्य करने या छिपे हुए नज, जहां लोगों को पता नहीं चलता कि उन्हें प्रभावित किया जा रहा है, नैतिक मानकों का उल्लंघन है।
- मानवीय गरिमा: नज को मानवीय गरिमा सुनिश्चित करनी चाहिए और मानवीय कमजोरियों या संज्ञानात्मक पूर्वाग्रहों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
- मूल्य-प्रेरित नजिंग: नज को व्यापक रूप से स्वीकृत नीतिशास्त्रीय या नैतिक मानकों के अनुरूप होना चाहिए और इसे समाज के सांस्कृतिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर आधारित होना चाहिए।
- आनुपातिकता: नीतिशास्त्रीय नजिंग कम दखल देने वाली होनी चाहिए। इसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति की पसंद पर पड़ने वाले प्रभाव नीतिगत लक्ष्य की प्राप्ति तक सीमित होना चाहिए।
- जवाबदेही: नीतिशास्त्रीय नजिंग को सार्वजनिक जांच और चर्चा तथा अपेक्षित बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए। नीति निर्माताओं को नज के डिजाइन और कार्यान्वयन से जुड़ी जवाबदेहियों को स्वीकार करनी चाहिए।

6. नजिंग के वैकल्पिक व्यवहार फ्रेमवर्क्स क्या हैं?
- बूस्ट: बूस्ट का उद्देश्य लोगों को उनके लक्ष्यों के अनुरूप निर्णय लेने की उनकी क्षमताओं को बढ़ावा देकर उनकी मदद करना है।
- इसके अतिरिक्त, बूस्ट न केवल लोगों की पसंद के परिवेश को टारगेट करते हैं बल्कि ह्यूरिस्टिक विधि (Heuristic repertoire) यानी कौशल समूह को भी लक्षित करते हैं।
- बूस्ट व्यक्तियों को उनके लक्ष्यों को अधिक प्रभावी ढंग से प्राप्त करने में मदद करने के लिए उपकरण, ज्ञान या कौशल प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिए, लोगों को अपने बजट का प्रबंधन करने या दीर्घकालिक बचत के संबंध में निर्णय लेने में सुधार करने में मदद हेतु वित्तीय साक्षरता कौशल सिखाना।
- नज+: नज+ वास्तव में पारंपरिक नज के मार्गदर्शन के साथ अतिरिक्त फीडबैक और व्यक्ति के संपर्क जैसे पहलुओं को शामिल करता है।
- यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करके किसी भी धोखाधड़ी से जुड़ी चिंताओं को दूर करता है। इस तरह लोगों को नज के बारे में पता चलता है।
- नज+ के तहत व्यक्तियों को यह सूचित किया जाता है कि उन्हें नज किया जा रहा है और उन्हें यह व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया जाता है कि वे नज को स्वीकार करना चाहते हैं अथवा अस्वीकार करना चाहते हैं। इस तरह पारदर्शिता और स्वायत्तता को बढ़ावा मिलता है।
- शॉव्स (Shoves): शॉव्स का उपयोग उन स्थितियों में व्यक्तिगत व्यवहार की स्पष्ट निगरानी के लिए किया जाता है जहां व्यक्तियों को पुरानी आदतों की तुलना में परिवर्तन से अधिक लाभ होता है। उदाहरण के लिए- धूम्रपान पर प्रतिबंध।
- दूसरे शब्दों में, शॉव्स व्यवहार पर नियंत्रण के या जबरदस्ती के उपाय हैं। इसके तहत व्यवहार में बदलाव के लिए अनिवार्य नियम, निषेध या प्रोत्साहन जैसे उपाय शामिल हैं।
- नज जहां व्यक्ति द्वारा चुनने की आजादी को सुरक्षित रखता है, वहीं शॉव्स कानूनों या विनियमों के माध्यम से व्यवहार को परिवर्तित करने का प्रयास करता है।
- उदाहरण के लिए, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाना या शुगर वाले ड्रिंक्स की खपत को कम करने के लिए कर लगाना शॉव्स के उदाहरण हैं।
- बज (Budges): यह तब होता है जब व्यवहार विज्ञान के सिद्धांत का उपयोग नीति निर्माताओं द्वारा यह तय करने के लिए किया जाता है कि निजी क्षेत्र की अवांछनीय कार्रवाइयों के खिलाफ कहां और कैसे विनियमन किया जाए।
- नज और बज में मुख्य अंतर यह है कि जहां बज संगठनों की हानिकारक या चालाक गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए नियम बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है वहीं नज व्यक्तियों की गतिविधियों में बदलाव पर ध्यान देता है।
- उदाहरण: बज के उदाहरण हैं; बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्कों के बारे में स्पष्ट और पारदर्शी सूचना प्रदर्शित करना या खाद्य कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों की कैलोरी की सटीक मात्रा अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करना।
- थिंक: यह अप्रोच जनता को अधिक विचारशील और भागीदारी आधारित प्रक्रिया में शामिल करने का समर्थन करता है।
- नजिंग या शॉविंग जहां मार्गदर्शक व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करता है, वहीं थिंक जानकारी के आधार पर निर्णय लेने और सामूहिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए लोकतांत्रिक विचार-विमर्श और शिक्षा पर बल देता है।
- शहरी नियोजन या जलवायु परिवर्तन रणनीतियों पर आम लोगों से परामर्श थिंक अप्रोच के प्रमुख उदाहरण हैं।
- स्लज (Sludge): स्लज वास्तव में निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अनावश्यक या अत्यधिक संघर्ष, बाधा या देरी से है जो लोगों को सही विकल्प का चयन करने से रोकता है।
- जहां नजिंग विकल्पों को सरल बनाती है, वहीं स्लज लोगों के लिए कुछ करना कठिन बना देता है।
निष्कर्ष
हमारी पृथ्वी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए तथा जिस बड़े स्तर पर व्यवहार में बदलाव की अपेक्षा है, उसके मद्देनजर नज अपने आप में समाधान नहीं हो सकता। पर इतना जरूर है कि नज के साथ-साथ प्रोत्साहन और नीतियों का अनिवार्य पालन जैसे उपाय कुछ मामलों में व्यवहार में परिवर्तन में प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं। ऐसे में नज का खाका तैयार करते वक्त टारगेट आबादी, सामाजिक स्थिति, बाजार और संघर्ष के कारकों तथा नज की टाइमिंग का ध्यान रखा जाना चाहिए। इससे वांछित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
जब स्थानीय समुदाय विशिष्ट समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं और समाधान तैयार करने तथा इसके लागू करने में शामिल होते हैं, तो उनमें समाधान के प्रति अपनेपन का बोध होता है और इसमें उनकी प्रतिबद्धता भी बनी रहती है। छोटे-छोटे समूहों की भागीदारी से भी बेहतर और प्रोत्साहन-जनक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं क्योंकि अक्सर हममें अपने आस-पास के लोगों को देखकर खुद का मूल्यांकन करने की प्रवृत्ति होती है।
- Tags :
- नजिंग
- नज थ्योरी
- नीति निर्माण में नजिंग
- चॉइस आर्किटेक्चर