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निर्यात समर्थक के रूप में भारत के गुणवत्ता नियंत्रण अधिदेश की पुनःकल्पना | Current Affairs | Vision IAS

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निर्यात समर्थक के रूप में भारत के गुणवत्ता नियंत्रण अधिदेश की पुनःकल्पना

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भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाएं और गुणवत्ता नियंत्रण 

भारत का लक्ष्य 2047 तक 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से बढ़कर 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। इसे हासिल करने के लिए भारतीय उत्पादों पर भरोसा जरूरी है, जिसमें गुणवत्ता एक महत्वपूर्ण घटक है। सरकार द्वारा अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) का क्रमिक विस्तार उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

QCO के साथ वर्तमान चुनौतियाँ 

  • QCO को लाभकारी और विवादास्पद दोनों ही रूप में देखा जाता है।
  • गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं; इन्हें कभी-कभी प्रतिबंधात्मक भी माना जाता है।

गुणवत्ता ढांचा और कार्यान्वयन

  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा प्रशासित, पारंपरिक रूप से स्वैच्छिक।
  • हाल ही में सरकार ने अनिवार्य QCO को इस्पात और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रकों तक विस्तारित कर दिया है।
  • 23,000 BIS मानकों में से केवल 187 QCO अधिसूचित किए गए हैं।

QCO को लागू करना 

QCO कानूनी उपकरण हैं जिनके लिए BIS से प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है। गैर-अनुपालन से दंड हो सकता है।

QCO कार्यान्वयन में कमियाँ 

  • घरेलू औद्योगिक विभाजन: मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादक QCO का स्वागत करते हैं, लेकिन डाउनस्ट्रीम उपभोक्ता मूल्य वृद्धि से डरते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिरोध: अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने भारत के QCO पर चिंता व्यक्त की है।
  • अंतर-सरकारी असंगति: कुछ अधिकारी कच्चे माल पर QCO के उपयोग पर सवाल उठाते हैं।

QCO और वैश्विक बाजार पहुंच

निम्न-गुणवत्ता वाले आयातों को कम करने में प्रभावी होने के साथ-साथ, QCO द्वारा भारतीय निर्माताओं को आत्मविश्वास के साथ वैश्विक बाजारों तक पहुंचने में सक्षम भी बनाया जाना चाहिए। 

अनुरूपता मूल्यांकन चुनौतियाँ

  • प्रमाणन के लिए BIS के पास विशेष अधिकार है, जिसके कारण देरी और बाधाएं उत्पन्न होती हैं। 

सुझाए गए सुधार 

  • कम और मध्यम जोखिम वाले उत्पादों को संभालने के लिए मान्यता प्राप्त प्रमाणन निकायों का उपयोग करना, जिससे BIS अधिभार कम हो और प्रसंस्करण समय में सुधार हो। 
  • व्यापार वार्ता में पारस्परिक मान्यता समझौतों (MRAs) पर जोर देना।

QCOs के लिए थ्री-पिलर रोड मैप 

  • निर्यात संवर्धन: प्रमाणपत्रों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना।
  • डंपिंग रोकथाम: कमजोर क्षेत्रों में QCO लागू करना। 
  • उपभोक्ता सुरक्षा: सार्वजनिक वस्तुओं के लिए कठोर प्रवर्तन बनाए रखना।

निष्कर्ष

भारत का विनिर्माण भविष्य गुणवत्ता की वैश्विक धारणा पर निर्भर करता है। QCO को बुद्धिमान और समावेशी होना चाहिए, जो एक विश्वसनीय "ब्रांड इंडिया" की नींव रखे। निर्यात संवर्धन, आयात संरक्षण और उपभोक्ता सुरक्षा को वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में भारत को स्थान दिलाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। 

  • Tags :
  • Quality Control Orders
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