भारत के परमाणु सुरक्षा उपाय
परमाणु खतरे की बढ़ती चिंताओं के कारण भारत अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ा रहा है। इसमें विद्युत संयंत्र, ईंधन निर्माण सुविधाएं, नागरिक अनुसंधान रिएक्टर और सैन्य अड्डे शामिल हैं।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
- ऑपरेशन सिंदूर: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किया गया। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के परिणामस्वरूप 26 नागरिकों और पर्यटकों की मौत हो गई थी।
- इजराइल-ईरान संघर्ष: 13 जून को बढ़ गया, जिससे भारत की परमाणु सुरक्षा को मजबूत करने के निर्णय पर असर पड़ा।
उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक
दिल्ली में परमाणु ऊर्जा विभाग, रॉ और खुफिया ब्यूरो की एक बैठक में परमाणु सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
परमाणु प्रतिष्ठान और अनुप्रयोग
परमाणु प्रतिष्ठान निम्नलिखित के लिए महत्वपूर्ण हैं:
- चिकित्सा आइसोटोप उत्पादन
- औद्योगिक प्रक्रियाएँ
- वैज्ञानिक अनुसंधान
- कृषि उन्नति
- जल संसाधन प्रबंधन
- कम कार्बन बिजली उत्पादन
ये उपयोग जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी योगदान देते हैं।
भारत का परमाणु ऑपरेशन
- भारत 6,780 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 22 रिएक्टरों का संचालन करता है, जिनमें 18 दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) और चार हल्के जल रिएक्टर (एलडब्ल्यूआर) शामिल हैं।
सुरक्षा संबंधी खतरे और चिंताएँ
परमाणु सुविधाओं के लिए संभावित खतरों में शामिल हैं:
- कमांडो जैसे ज़मीनी हमले
- रिएक्टर परिसरों पर विमान हमले
- साइबर हमले
इस तरह के हमलों से कोर मेल्टडाउन या व्यापक रेडियोधर्मी संदूषण हो सकता है, जैसा कि अमेरिका में 9/11 आयोग ने उजागर किया था।
क्षेत्रीय तनाव और सैन्य कार्रवाइयां
- इजराइल ईरान को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है और उसने ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए सैन्य अभियान चलाए हैं।
- 13 जून को इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य स्थलों के खिलाफ "ऑपरेशन राइजिंग लायन" शुरू किया।
- ईरान ने "ट्रू प्रॉमिस 3" के साथ जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायली शहरों पर 100 मिसाइलें दागीं।