ईरान के खिलाफ सैन्य हमलों पर ब्रिक्स का रुख
ब्रिक्स समूह के एक हिस्से के रूप में भारत ने 13 जून, 2025 के बाद से इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ सैन्य हमलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। ब्रिक्स के संयुक्त बयान में इन कार्रवाइयों को अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन माना गया है, तथा तनाव को हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
ब्रिक्स संयुक्त वक्तव्य
- गंभीर चिंता: ब्रिक्स देश ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लेकर चिंतित हैं, जिसे वे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानते हैं।
- वार्ता का आह्वान: ब्रिक्स ने स्थिति को शांत करने तथा शांतिपूर्ण समाधान प्राप्त करने के लिए मौजूदा राजनयिक चैनलों का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- परमाणु सुरक्षा: वे परमाणु स्थलों की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा विनियमों का पालन करने के महत्व पर बल देते हैं।
- कूटनीति के लिए समर्थन: समूह क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए कूटनीतिक उपायों का समर्थन करता है।
- संवेदना: ब्रिक्स ने पीड़ित परिवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की तथा प्रभावित नागरिकों के प्रति एकजुटता व्यक्त की।
- शांति संवर्धन: यह समूह शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने तथा परमाणु हथियारों और सामूहिक विनाश से मुक्त मध्य पूर्व की वकालत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ईरान की प्रतिक्रिया और आभार
दिल्ली में स्थित ईरानी दूतावास ने सैन्य टकराव के दौरान समर्थन के लिए राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों और मीडिया सहित विभिन्न भारतीय संस्थाओं के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। ईरान इस एकजुटता को सार्वभौमिक न्याय और वैश्विक शांति मूल्यों की पुष्टि के रूप में देखता है।
एससीओ वक्तव्य पर भारत की स्थिति
भारत ने ईरान में इजरायल की सैन्य कार्रवाई की निंदा करने वाले एससीओ के बयान से खुद को अलग कर लिया, तथा तनाव कम करने के लिए बातचीत और कूटनीति की वकालत करने के अपने सतत रुख पर जोर दिया।