प्रत्यक्ष कर संग्रह का अवलोकन
हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 19 जून तक प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट आई है , शुद्ध संग्रह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 1.39% कम है। यह गिरावट मुख्य रूप से कॉर्पोरेट कर संग्रह में कमी के कारण हुई है।
प्रमुख करों के रुझान
- कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी): वार्षिक वृद्धि दर 2022-23 में 15% से घटकर 2024-25 में 8% हो गई है।
- केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी): इसी अवधि के दौरान वृद्धि दर 21% से घटकर 10% हो गई।
- व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी): क्रमशः 20% और 17% की वृद्धि दर के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
त्रैमासिक कर-जीडीपी अनुपात
- निगम कर संग्रह: अस्थिरता प्रदर्शित करता है, सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 3% के आसपास उतार-चढ़ाव होता है।
- व्यक्तिगत आयकर: कुछ मौसमी उतार-चढ़ाव के साथ इसमें वृद्धि की प्रवृत्ति दिखती है।
- केंद्रीय जीएसटी: हाल की तिमाहियों में स्पष्ट नरमी के साथ मामूली वृद्धि।
प्रभावित करने वाले कारक
- रिपोर्ट की गई आय का अधिकांश हिस्सा वेतन आय (53.9%) और व्यवसाय आय (29.7%) से प्राप्त होता है।
- डब्ल्यूटीडब्ल्यू वेतन बजट योजना रिपोर्ट स्थिर वेतन वृद्धि का संकेत देती है: 2021 में 8.5%, 2022 में 9.8%, 2023 में 10%, तथा 2024 और 2025 में 9.5%।
जीएसटी लागू होने का प्रभाव
जीएसटी लागू होने से आर्थिक गतिविधियों का औपचारिकीकरण हुआ, जिससे राजस्व संग्रह में सुधार हुआ। हालांकि, जैसे-जैसे यह बदलाव पूरा होगा, राजस्व में उच्च वृद्धि के लिए प्रोत्साहन कम हो सकता है। जीएसटी रुझानों के अनुरूप, वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2023-24 तक व्यावसायिक आय में लगभग 12-13% की वृद्धि हुई है।
उभरती चुनौतियाँ
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: टैरिफ परिवर्तन और भू-राजनीतिक तनाव, जैसे कि इजरायल-ईरान संघर्ष, मांग और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करते हैं।
- मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति: आरबीआई द्वारा रेपो दर और नकद आरक्षित अनुपात में कटौती का उद्देश्य निवेश को बढ़ावा देना है, लेकिन मुद्रास्फीति में परिवर्तन से यह रणनीति बदल सकती है।
- नीतिगत पहल: मुफ्त भोजन और स्वास्थ्य सेवा जैसी सरकारी योजनाओं से मांग में वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन इनका जीएसटी राजस्व पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं दिखा है।
- कर व्यवस्था में परिवर्तन: बढ़ी हुई छूट सीमा तथा पुरानी और नई व्यवस्थाओं के बीच भिन्नता के कारण व्यक्तिगत आयकर संग्रह में कमी आने की संभावना है।
इन संयुक्त कारकों के कारण ही पीआईटी की वृद्धि में कमी आई है।