जन्म के आधार पर नागरिकता के संबंध में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ‘जन्म के आधार पर नागरिकता’ को समाप्त करने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीति को प्रभावित करने वाला एक निर्णय जारी किया। इससे आंशिक कानूनी जीत मिली है तथा नीति के प्रवर्तन पर 30 दिनों के लिए रोक लगा दी गई।
फैसले के मुख्य बिंदु
- यह निर्णय संघीय न्यायाधीशों की राष्ट्रपति के आदेशों को अवरुद्ध करने वाले राष्ट्रव्यापी निषेधाज्ञा जारी करने की शक्ति को सीमित करता है।
- हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जन्म के आधार पर नागरिकता की ट्रम्प की नीति की संवैधानिकता पर विचार नहीं किया।
- यह निर्णय न्यायिक शक्ति गतिशीलता में बदलाव को दर्शाता है, जिससे जिला न्यायालयों की कार्यकारी कार्यों को व्यापक रूप से रोकने की क्षमता कम हो जाती है।
निर्णय के निहितार्थ
- न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रव्यापी निषेधाज्ञा किसी विशिष्ट मामले में शामिल पक्षों तक ही सीमित होनी चाहिए।
- ट्रम्प का कार्यकारी आदेश अभी भी अवरुद्ध है। इस आदेश का उद्देश्य बिना दस्तावेज़ वाले अप्रवासी माता-पिता से जन्मे बच्चों को नागरिकता देने से इनकार करना है। हालांकि, इसे तब तक लागू किया जा सकता है जब तक कि आगे अदालती हस्तक्षेप न हो।
- निचली अदालतों को निर्णय को समायोजित करने या उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए 30 दिन की मोहलत दी गई।
कानूनी और संवैधानिक विचार
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिका में बिना दस्तावेज़ वाले अप्रवासियों के बच्चों के लिए स्वतः नागरिकता समाप्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। उनका दावा है कि यह 14वें संशोधन का उल्लंघन करता है। यह संशोधन अमेरिका में जन्मे या प्राकृतिक रूप से बसे सभी व्यक्तियों को नागरिकता प्रदान करता है।
- ट्रम्प की कानूनी टीम ने गैर-नागरिकों से जन्मे बच्चों की नागरिकता के खिलाफ तर्क दिया, जिसे निचली अदालतों ने खारिज कर दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने आव्रजन कानून के बजाय न्यायिक शक्तियों पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे 14वें संशोधन की व्याख्या पर भविष्य में चुनौतियों के लिए गुंजाइश बनी रहे।
भविष्य की संभावनाएँ
- यह कार्यकारी आदेश अस्थायी रूप से लागू नहीं किया जा सकेगा तथा सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार निचली अदालतों के निर्णयों द्वारा इसमें परिवर्तन किया जा सकेगा।
- ट्रम्प प्रशासन 30 दिन के बाद नए नागरिकता नियमों को लागू करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने की योजना बना रहा है।
- जन्म के आधार पर नागरिकता को लेकर आगे भी कानूनी लड़ाई होने की संभावना है तथा भविष्य में मामलों में सर्वोच्च न्यायालय की भागीदारी भी संभव है।