प्रस्तावित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम
प्रस्तावित DPDP अधिनियम ने भारत में सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर बहस छेड़ दी है।
वर्तमान स्थिति और प्रक्रिया
- DPDP अधिनियम को अगस्त 2023 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था, लेकिन इसके नियमों की अधिसूचना लंबित होने के कारण यह अभी तक लागू नहीं हुआ है।
- प्रस्तावित नियमों का मसौदा उसी वर्ष जनवरी में हितधारकों के परामर्श के लिए जारी किया गया था।
- इस कानून को अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमाणी के पास भेजा जाएगा ताकि उनसे राय ली जा सके कि क्या यह RTI अधिनियम को कमजोर करता है।
सरकार का रुख
- सरकार का कहना है कि DPDP अधिनियम RTI अधिनियम को कमजोर नहीं करता है।
- मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस स्थिति से संसद सदस्यों को अवगत कराने की योजना बनाई है।
- अधिकारियों का कहना है कि मनरेगा जैसी योजनाओं सहित RTI के माध्यम से सूचना तक पहुंच पर कोई असर नहीं पड़ा है।
व्यक्त की गई चिंताएं
विशेष रूप से RTI अधिनियम की धारा 8(1)(J) में संशोधन के संबंध में काफी विरोध हुआ है।
- संशोधन प्राधिकारियों को व्यक्तिगत जानकारी को रोकने की अनुमति देता है, जिसके बारे में कुछ लोगों का तर्क है कि इससे जवाबदेही और भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों के लिए आवश्यक पहुंच बाधित होती है।
- आलोचकों को चिंता है कि इससे पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और वकीलों को आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
आधिकारिक स्पष्टीकरण
- अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अधिनियम पर विरोध के कारण नियमों में देरी नहीं की गई है।
- उन्होंने कहा कि संशोधन संबंधी चिंताओं का समाधान 2023 में अधिनियम पारित होने के समय किया जाना चाहिए था।