अमेरिका के साथ भारत का संभावित सामाजिक सुरक्षा समझौता (SSA)
भारत व्यापक द्विपक्षीय व्यापार चर्चाओं के हिस्से के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते (SSA) पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है। ऐसे समझौतों के भविष्य के सभी मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का महत्वपूर्ण घटक बनने की उम्मीद है, जिसमें चल रही वार्ताएं भी शामिल हैं।
वर्तमान स्थिति और बातचीत
- श्रम एवं रोजगार मंत्रालय तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के बीच बैठक के बाद चर्चा आगे बढ़ी है।
- भारत के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा स्वीकार किया जाना अभी भी अनिश्चित है।
सामाजिक सुरक्षा समझौतों को समझना
SSA एक पारस्परिक व्यवस्था है जो निम्नलिखित की अनुमति देती है:
- विदेशी नियुक्ति पर कार्यरत कर्मचारी मेजबान देश के सामाजिक सुरक्षा कोष में योगदान देने से बचते हैं।
- नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों के लिए दोहरे सामाजिक सुरक्षा अंशदान को रोकना होगा।
विदेश में कार्यरत भारतीय कामगारों को मेजबान देशों में सामाजिक सुरक्षा अंशदान से बचने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से कवरेज प्रमाण-पत्र (COC) प्राप्त करना होगा।
भारत के मौजूदा SSA
भारत के 20 से अधिक देशों के साथ SSA हैं, जिनमें शामिल हैं:
- जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, जापान, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क और ऑस्ट्रेलिया।
भारत-यू.के. FTA जैसे हालिया समझौते, यू.के. में भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान से तीन वर्ष की छूट प्रदान करते हैं।
महत्व एवं भविष्य की संभावनाएं
- सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों वाले FTA पर बातचीत चल रही है, जिसमें यूरोपीय संघ भी शामिल है।
- कुशल जनशक्ति के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में भारत का उदय, विशेष रूप से IT सेवाओं में, SSA के महत्व को रेखांकित करता है।
- पिछले दशक में भारत के सामाजिक सुरक्षा कवरेज में हुए विस्तार ने ऐसी वार्ताओं में उसकी स्थिति को मजबूत किया है।