रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) अनुमोदन
रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में DAC ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण रक्षा खरीद को मंजूरी दी है। इनमें शामिल हैं:
- बख्तरबंद रिकवरी वाहन (ARV)
- इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) प्रणालियाँ
- तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत सामान्य इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणाली
- सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें
सभी प्रस्ताव स्वदेशी रूप से प्राप्त किए जाएंगे, जो रक्षा खरीद प्रक्रिया में पहला कदम होगा, जिसमें आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) शामिल है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि AoN अंतिम ऑर्डर की गारंटी नहीं देता है।
खरीद का महत्व
अनुमोदित खरीद का उद्देश्य निम्नलिखित को बढ़ाना है:
- गतिशीलता
- प्रभावी वायु रक्षा
- आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
- परिचालन संबंधी तैयारी
यह पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया है, जिसमें आकाश और एस-400 ट्रायम्फ जैसी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के महत्व को दर्शाया गया है।
उजागर की गई रक्षा आवश्यकताएँ
- बख्तरबंद रिकवरी वाहन (ARVs): मुख्य युद्धक टैंकों और एआरवी के बीच गतिशीलता की कमी को दूर करते हैं, जो मशीनीकृत हमलों के लिए महत्वपूर्ण है।
- इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली: विरोधी संचार और रडार प्रणालियों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सिद्ध हुआ।
- साझा इन्वेंटरी प्रबंधन प्रणाली: तीनों सेनाओं में लागत दक्षता और संसाधन आवंटन को बढ़ाती है।
अतिरिक्त स्वीकृतियाँ
निम्नलिखित के लिए भी AoN प्रदान की गईं:
- मूर्ड माइंस (Moored Mines)
- माइन काउंटरमेजर वेसल्स (Mine Countermeasure Vessels)
- सुपर रैपिड गन माउंट (Super Rapid Gun Mount)
- सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स (Submersible Autonomous Vessels)
इनसे नौसेना और व्यापारिक जहाजों के लिए जोखिम कम होने तथा खरीद (भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित) श्रेणी के अंतर्गत स्वदेशी डिजाइन और विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है।